लखनऊ: नीतीश सरकार…पहले JDU-BJP के साथ…फिर JDU-RJD के साथ…अब एक बार फिर JDU-BJP के साथ…यानी बिहार में सियासी भूचाल, जहां सर्द मौसम में सियासी पारा थर्मरमामीटर में हाई है…वो भी लोकसभा चुनाव से ठीक पहले…कहते है कि जब पड़ोस में उठापटक होती है तो बगल वालें घर में भी उसकी गूंज सुनाई देती है…जी हां, कुछ ऐसा ही देखा जा रहा है बिहार के बाद अब पड़ोसी राज्य यूपी में भी…जहां सीट शेयरिंग को लेकर खींचतान मची हुई है…बता दें कि, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कांग्रेस को ग्यारह सीट देने का एलान तो कर दिया है लेकिन, कांग्रेस इस पर सहमत नहीं दिखाई दे रही है…जाहिर सी बात है कि ऐसी घोषणा कांग्रेस को कतई रास नहीं है।
सूत्रों के अनुसार जानकारी मिली है कि, कांग्रेस 2017 की तरह इस बार भी चाहती है कि संयुक्त रूप से प्रेस कांफ्रेंस करके सपा व कांग्रेस के नेता इसकी घोषणा करें…ये भी कहा जा रहा है कि इंडिया गठबंधन के तहत कांग्रेस की ओर से 25 सीट की मांग गई व नेतृत्व ने भी तय किया है कि 20 सीटों से कम पर किसी भी तरह से समझौता नहीं मंजूर होगा…
ग्राफिक्स के माध्यम से बता दें कि साल 2014 के लोकसभा चुनाव में रायबरेली व अमेठी सीटें कांग्रेस ने जीतीं साथ ही कुशीनगर, सहारनपुर, गाजियाबाद के साथ ही कानपुर में पार्टी दूसरे पायदान पर थी…जबकी साल 2019 में रायबरेली में जीत और अमेठी, कानपुर व फतेहपुर सीकरी में पार्टी दो नंबर पर रही….वहीं, साल 2009 के चुनाव में 21 सीट पर जीत…
आपको बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में सपा का कांग्रेस के साथ कोई औपचारिक गठबंधन नहीं था, लेकिन अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली पार्टी ने रायबरेली और अमेठी सीटों पर कोई उम्मीदवार नहीं उतारा था, जहां कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी ने चुनाव लड़ा था… पार्टी 6.4 फीसदी वोट शेयर के साथ केवल एक सीट ही जीत सकी और तीन सीटों पर दूसरे स्थान पर रही…तब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे राहुल गांधी अपनी सीट भी नहीं बचा पाए थे…