उत्तर प्रदेश के वाराणसी (Varanasi) की एक स्थानीय विशेष अदालत ने उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय (Ajay Rai) को करीब 27 वर्ष पहले जारी निषेधाज्ञा का उल्लंघन कर धरना-प्रदर्शन करने के मामले में शनिवार को बरी कर दिया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राय के अधिवक्ता अनुज यादव ने बताया कि अजय राय पर 27 वर्ष पूर्व बिना अनुमति धरना प्रदर्शन (protest without permission) कर आवागमन बाधित करने और धारा 144 (निषेधाज्ञा) के उल्लंघन का आरोप था।
जानकारी के मुताबिक, वाराणसी की सांसद-विधायक अदालत (सांसद-विधायक अदालत) ने शनिवार को कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष अजय राय के खिलाफ दर्ज मामले में फैसला सुनाया। अदालत के अपर सिविल जज (सीनियर डिवीजन प्रथम) उज्जवल उपाध्याय ने इस मामले में पूर्व मंत्री अजय राय को बरी कर दिया। अनुज यादव ने बताया कि वर्ष 1996 में अजय राय पर अपने समर्थकों को साथ लेकर निषेधाज्ञा का उल्लंघन करते हुए धरना-प्रदर्शन कर कानून व्यवस्था को भी प्रभावित करने का मामला दर्ज हुआ था, जिसमें राय पर लगे आरोप सिद्ध नहीं हुए।
अयोध्या में भव्य राम मंदिर में श्रीरामलला की मूर्ति की 22 जनवरी को होने जा रही प्राण प्रतिष्ठा के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों से आए 14 दंपति ‘यजमान’ (मेजबान) के दायित्व का निर्वहन करेंगे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील अंबेकर ने बताया कि श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास द्वारा दी गई सूचना के मुताबिक अनुष्ठान 16 जनवरी को प्रारंभ हुआ और शनिवार को इसका पांचवा दिन था। उन्होंने बताया, ‘‘हिंदू धर्म के अंतर्गत एक मंदिर की पूजा में व्यापक अनुष्ठान होते हैं। कई ‘अधिवास’ होते हैं। मुख्य प्राण प्रतिष्ठा पूजा में 14 दंपति हिस्सा लेंगे। ये सभी भारत के उत्तर, पूर्व, पश्चिम, दक्षिण और पूर्वोत्तर से हैं। ये मुख्य यजमान होंगे।”