नए साल पर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की ताइवान को लेकर दी धमकी के बाद द्वीप राष्ट्र की भी प्रतिक्रिया सामने आई है। ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने सोमवार को कहा कि चीन के साथ ताइवान के संबंध लोगों की इच्छा से तय होने चाहिए और शांति गरिमा पर आधारित होनी चाहिए।चीन के नेता शी जिनपिंग नेअपने नए साल के संबोधन में कहा था कि कि द्वीप के साथ पुनर्मिलन अपरिहार्य है। चीन लोकतांत्रिक रूप से शासित ताइवान पर अपनी संप्रभुता का दावा करने के लिए सैन्य दबाव बढ़ा रहा है।
अपने संबोधन शी ने कहा कि ताइवान निश्चित रूप से चीन के साथ फिर से एकीकृत होगा। उनका यह बयान ताइवान चुनाव से ठीक पहले आया है। दरअसल, 13 जनवरी को ताइवान में चुनाव होना है।इससे पहले भी शी कहा है कि ताइवान चीन का हिस्सा है और यदि आवश्यक हो तो बलपूर्वक इसे फिर से एकीकृत किया जाएगा। ताइपे में राष्ट्रपति कार्यालय में नए साल की प्रेस कॉन्फ्रेंस में शी के भाषण के बारे में पूछे जाने पर त्साई ने कहा कि चीन के साथ संबंधों पर किस रास्ते पर चलना है, इसका सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत लोकतंत्र है।
उन्होंने कहा कि इसमें निर्णय लेने के लिए ताइवान के लोगों की संयुक्त इच्छा की आवश्यकता है। आखिरकार, हम एक लोकतांत्रिक देश हैं। बता दें कि नए साल पर टेलीविजन पर संबोधन दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि चीन, ताइवान के साथ निश्चित रूप से फिर से एकजुट होगा। जिनपिंग ने स्व-शासित द्वीप पर कब्जा करने के लिए बीजिंग की धमकियों को दोहराया, जिसे वह अपना मानता है। 1949 में गृह युद्ध के बीच ताइवान चीन से अलग हो गया, लेकिन बीजिंग अपनी उच्च तकनीक अर्थव्यवस्था वाले 23 मिलियन के द्वीप को चीनी क्षेत्र के रूप में मानता रहा है और यदि आवश्यक हो तो सैन्य बल द्वारा इसे हासिल करने के लिए अपने खतरे को बढ़ा रहा है।