पटनाः जनता दल (यूनाइटेड) ने शुक्रवार को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर बिहार में हुए ‘ऐतिहासिक’ जातिगत सर्वेक्षण के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व की सराहना की। जद(यू) के मुताबिक उसकी इस कवायद के बाद ही राष्ट्रीय स्तर पर इस प्रकार के सर्वेक्षण की मांग राजनीति के केंद्र में आई और एक सामाजिक-आर्थिक क्रांति की शुरुआत हुई।
बिहार के बाहर भी उठाएंगे यह मुद्दा- केसी त्यागी
जद(यू) की राष्ट्रीय परिषद में इस मुद्दे पर पारित एक प्रस्ताव के बारे में संवाददाताओं को जानकारी देते हुए पार्टी के मुख्य प्रवक्ता के. सी. त्यागी ने कहा कि जातिगत गणना एक ऐसा मुद्दा है जो भारत के लोगों की भावनाओं को आवाज देता है और यहां तक कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस भी अब इसे नजरअंदाज नहीं कर सकते। पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद की बैठक के बाद उन्होंने कहा कि सर्वसम्मति से यह फैसला किया गया कि जाति आधारित गणना के मुद्दे को विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के एजेंडे के तहत राष्ट्रीय स्तर पर उठाया जाएगा। उन्होंने कहा, “हम इस मुद्दे को बिहार के बाहर भी उठाएंगे।” उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में जद(यू) अध्यक्ष चुने गए नीतीश कुमार झारखंड से ‘जन जागरण’ अभियान शुरू करेंगे।
पार्टी ने जातिगत सर्वेक्षण के लिए नीतीश कुमार को दी बधाई
पार्टी ने अपने प्रस्ताव में बिहार में कराए गए सामाजिक-आर्थिक जातिगत सर्वेक्षण के लिए नीतीश कुमार को बधाई दी और दावा किया कि इस ‘ऐतिहासिक पहल’ का पूरे देश में एकजुट होकर स्वागत किया जा रहा है। पार्टी ने कहा, “कई राज्यों ने जाति आधारित गणना कराने की योजना की घोषणा की है। बिहार की तर्ज पर इस तरह की गणना कराने की मांग देशभर में हो रही है। इससे सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन की दिशा में एक मौन क्रांति आई है।” त्यागी ने कहा कि जाति आधारित गणना से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अत्यंत पिछड़ा वर्ग, पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और आर्थिक रूप से कमजोर उच्च जातियों सहित सभी सामाजिक समूहों को लाभ होगा।