नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर के कई नामी अस्पतालों व वहां तैनात डॉक्टर्स पर किडनी रैकेट में संलिप्त पाए जाने के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन लचर कानून और अस्पताल प्रबंधन की ऊंची पहुंच के कारण उन पर कभी कोई कार्रवाई नहीं होती है। सूत्रों की मानें तो यह रैकेट लगातार पनप रहे हैं और गुप्त तरीके से काम कर रहे हैं। जब कभी रैकेट का भंडाफोड़ हुआ है तो केवल कुछ बिचौलिए और अस्पताल के नर्सिंग कर्मचारी ही पकड़े गए हैं। उन्हें भी कुछ समय बाद जमानत मिल जाने के कारण वे दोबारा इस व्यवसाय में वापस आ जाते हैं।
2008 में गुरुग्राम किडनी रैकेट के भंडाफोड़ से सुर्खियों में आए डॉ. अमित कुमार को 2017 में देहरादून में दूसरी बार गिरफ्तार किया गया था। बीच में भी उन्हें कुछ बार गिरफ्तार किया गया। उन्हें जमानत मिलती गई और वह कुछ समय के लिए भूमिगत रहकर फिर एक नए शहर में धंधा करते रहे। वह एक बार नेपाल भी भाग गया था लेकिन उसे प्रत्यर्पित कर दिया गया था। 2013 में विशेष सीबीआई अदालत ने अमित को 60 लाख रुपये जुर्माने के साथ सात साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी, लेकिन फिर भी वह कानूनी व्यवस्था में खामियों का फायदा उठाकर काम करता रहा।
2021 में बेघर और जरूरतमंद लोगों को किडनी बेचने का लालच देने और दिल्ली-एनसीआर में अवैध प्रत्यारोपण करने वाले एक गिरोह का पुलिस ने भंडाफोड़ किया था और दिल्ली और सोनीपत में कई छापे के बाद एक दिल्ली के निजी अस्पताल के डाक्टर सहित दस लोगों को गिरफ्तार किया गया था। पिछले साल भी किडनी रैकेट में गिरफ्तार किए गए लोग गरीब लोगों को यह विश्वास दिलाने के लिए “प्रेरक वीडियो” बना रहे थे कि यह कानूनी और सुरक्षित है।
उदाहरण के लिए 2016 में दिल्ली के अपोलो किडनी रैकेट में दक्षिण-पूर्वी जिला पुलिस ने टी राजकुमार राव को गिरफ्तार किया था। जमानत मिलने पर जब उसने दोबारा अपना धंधा जारी रखा तब दो साल बाद कानपुर पुलिस ने किडनी रैकेट के मास्टर माइंड के तौर पर जून 2019 में उसे गिरफ्तार किया था। पूछताछ में राव ने बताया था कि पैसों के कारण उसे अपनी भी किडनी बेचनी पड़ी थी। 2004-05 में आसान तरीके से पैसे कमाने की लालच ने उसे अवैध प्रत्यारोपण के लिए एक सूत्रधार में बदल दिया और अंततः उसने खुद का गिरोह बना लिया, जो अवैध अंग व्यापार में पूरी तरह से शामिल था।
इन मामलों की जांच करने वाले पुलिसकर्मियों का कहना है कि सख्त दान कानून और अवैध दानकर्ताओं की उच्च मांग इस व्यापार को अत्यधिक आकर्षक बनाती है। एक तरफ एक गरीब व्यक्ति जो अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए पैसे के लिए बेचैन है और दूसरी तरफ एक अमीर आदमी या महिला जो अपनी जान बचाने के लिए बेचैन है। सख्त कानून लागू होने के साथ कुछ साल पहले ऐसे ही एक रैकेट की जांच करने वाले एक पुलिसकर्मी का कहना है ऐसे लोगों के लिए गुप्त तरीके से काम करने की काफी गुंजाइश है।
सूत्रों का कहना है कि विदेशियों का एक बड़ा ग्राहक समूह है क्योंकि उनके पास देने के लिए काफी पैसे हैं। 2018 में, गुरुग्राम में किडनी खरीदने की कोशिश करते समय दो ब्रिटिश नागरिकों को हिरासत में लिया गया था और उनके पासपोर्ट जब्त किए गए थे।