उत्तर प्रदेश की राजनीति में इन दिनों सबसे अधिक चर्चा कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच चल रहे सियासी बयानबाजी की हो रही है… कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय लगातार समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के खिलाफ सियासी तीर छोड़ रहे हैं… उन्हें निशाना बनाने का प्रयास कर रहे हैं… माना जा रहा है कि अजय राय यूपी कांग्रेस को एक अलग राह पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं… लेकिन, कांग्रेस पार्टी के पिछले रिकॉर्ड अजय राय के प्रयासों को अंजाम तक पहुंचने की गारंटी देते नहीं दिख रहे हैं… जमीनी हकीकत तो ये है कि कांग्रेस के लिए समाजवादी पार्टी मजबूरी है… कांग्रेस ने अगर अखिलेश यादव से बैर लिया तो अमेठी लोकसभा सीट छोड़िए, रायबरेली में उनके कैंडिडेट को जीतने में मुश्किल हो सकती है… अखिलेश यादव ने पिछले दिनों सभी 80 सीटों पर कैंडिडेट उतारने की बात कहकर कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी जरूर बजा दी है… हालांकि, माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव के बाद एक बार फिर विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. की चर्चा जोर पकड़ेगी… भाजपा के खिलाफ विपक्ष के पास इससे बढ़िया कोई फॉर्मूला फिलहाल दिख नहीं रहा है…
यूपी की अमेठी और रायबरेली सीट के आंकड़ों को देखेंगे तो कांग्रेस के लिए बजने वाली खतरे की घंटी साफ सुनाई देगी… दरअसल, यूपी विधानसभा चुनाव के समय में तमाम राजनीतिक दलों ने अपने- अपने हिसाब से कड़ी लड़ाई लड़ी… कांग्रेस ने भी ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ के नारे और महिलाओं को 40 फीसदी सीटों पर टिकट के फॉर्मूले के साथ यूपी के राजनीतिक मैदान में जमने का प्रयास किया, लेकिन पार्टी 403 सदस्यीय विधानसभा में 2 सीट ही हासिल करने में कामयाब रही… वहीं प्रदेश के दूसरे हिस्सों को छोड़ दें, तो अमेठी और रायबरेली जैसे गढ़ में भी कांग्रेस का प्रदर्शन काफी कमजोर रहा… ये आंकड़े पार्टी की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं…
अमेठी लोकसभा सीट की बात करें तो यूपी चुनाव 2022 के दौरान यहां कुल करीब 10 लाख वोटरों ने अपने वोटिंग अधिकार का इस्तेमाल किया… लोकसभा क्षेत्र में कुल पड़े वोट में से 4.19 लाख वोट भारतीय जनता पार्टी के पाले में गए… वहीं, समाजवादी पार्टी को 3.52 लाख वोट मिले… बहुजन समाज पार्टी 46 हजार वोट हासिल कर सकी… वहीं, कांग्रेस को 1.43 लाख वोट मिले… दूसरे दल और निर्दलीयों के खाते में 41 हजार वोट गए… इस हिसाब से देखें तो 41.8 फीसदी वोट शेयर भाजपा के पाले में गया। वहीं, सपा को 35.2 फीसदी, बसपा के 4.6 फीसदी और कांग्रेस को 14.3 फीसदी वोट शेयर मिला… अन्य को 4.1 फीसदी वोट मिले… अब अगर अमेठी में कांग्रेस को वापसी करनी है तो यहां पर उन्हें समाजवादी पार्टी को मैनेज करना ही पड़ेगा….
रायबरेली में भी इसी प्रकार की स्थिति बनती दिख रही है… ऐसे में अगर रायबरेली से सोनिया गांधी फिर से उम्मीदवार बनती हैं तो उनके सामने सपा का कोई उम्मीदवार न हो, ये सुनिश्चित कराना भी कांग्रेस के लिए जरूरी होगा… वरना, ये सीट भी फंस सकती है… क्योंकि रायबरेली में भी कांग्रेस की हालत कुछ ज्यादा अच्छी नहीं है…
राजनीतिक पंडितों का कहना है कि यूपी में कांग्रेस के लिए क्या बदला है? अभी तक जमीन पर कुछ होता नहीं दिख रहा है… राजनीतिक पंडितों का मानना है कि लोगों की सोच में बदलाव के लिए बड़े स्तर पर कार्य करने की जरूरत होती है… 2013 में यूपी में समाजवादी पार्टी और केंद्र में यूपीए की सत्ता रहते हुए भी भाजपा ने राज्य में अपना संगठन खड़ा किया… बूथ स्तर तक कमिटियां बनाईं… बूथ अध्यक्ष से लेकर उनके पास ब्लॉक और सब डिवीजन लेवल तक कमिटी है… हर स्तर पर परफॉर्मेंस की चेकिंग का पैटर्न है… गलतियों को मानने और उसे दूर करने के लिए सिस्टम बनाकर काम करने का तरीका है… अगर चेहरा बदलने से परफॉर्मेंस बदलता तो फिर 2022 में तो बड़ा बदलाव होना चाहिए था… उस समय तो यूपी कांग्रेस की एक प्रकार से कमान प्रियंका गांधी के हाथ में थी…
जानकारों की माने तो अजय राय का चेहरा यूपी में प्रियंका गांधी या फिर सोनिया गांधी से बड़ा तो नहीं हो सकता… अजय राय भले बयान से सुर्खियों में आ जाएं, लेकिन निचले स्तर पर कितने असरदार होंगे समय बताएगा… इसलिए क्यास लगाए जा रहे हैं कि लोकसभा चुनाव आते- आते एक बार I.N.D.I.A. की अहमियत समझाई जाने लगेगी… ये विपक्षी दलों के लिए जरूरी भी है और मजबूरी भी… ऐसे में कांग्रेस को अखिलेश की मदद लेनी ही होगी…