उत्तरकाशीः उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में सिलक्यारा सुरंग के अंदर फंसे 40 श्रमिकों में शामिल गब्बर सिंह नेगी के बेटे की अधिकारियों ने उसके पिता से बातचीत करवाई, जिससे दोनों को काफी राहत मिली।
नेगी के बेटे आकाश सिंह नेगी ने बताया, ‘‘मुझे कुछ सेकेंड के लिए उस पाइप के जरिए अपने पिता से बात करने की अनुमति मिली जिससे सुरंग में फंसे श्रमिकों को आक्सीजन भेजी जा रही है।” यह पूछे जाने पर कि उनके पिता ने उनसे क्या बातचीत की, आकाश ने कहा, ‘उन्होंने बताया कि वे सभी सुरक्षित हैं। उन्होंने हमसे चिंता न करने को कहते हुए कहा कि कंपनी उनके साथ है।’ रविवार सुबह सुरंग के एक हिस्से के ढहने से उसमें फंस गए श्रमिकों की जानकारी मिलने के बाद आकाश अपने पिता की खोजखबर लेने अपने चाचा महाराज सिंह नेगी तथा तीन अन्य लोगों के साथ कोटद्वार से मौके पर पहुंचे हैं।
वहीं महाराज सिंह नेगी ने कहा, ‘शुरू में पुलिसकर्मियों ने हमें अंदर फंसे लोगों से बात करने की इजाजत नहीं दी। जब मैंने निरीक्षक को समझाया कि रिश्तेदार से बात करने के बाद फंसे हुए श्रमिकों और उनके चिंतित परिजनों दोनों को अच्छा लगेगा तो वह मान गए और मैंने आकाश को अपने पिता से बात करने अंदर भेजा।’ सुरंग में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए पाइप की मदद से एक ‘एस्केप पैसेज’ बनाने की जरूरत है। कोटद्वार के निकट बिशनपुर के रहने वाले गब्बर सिंह नेगी उत्तराखंड के उन दो श्रमिकों में शामिल हैं, जो 38 अन्य के साथ सुरंग के अंदर फंस गए हैं।
फंसे श्रमिकों की सलामती के लिए एक स्थानीय पुजारी राम नारायण अवस्थी ने पूजा भी संपन्न करवाई। उन्होंने बताया, ‘मुझे कंपनी के लोगों ने पूजा संपन्न करवाने को कहा, जिससे भगवान कृपा करें और सभी श्रमिक सुरक्षित बाहर निकल आएं। मैंने इसलिए पूजा संपन्न करवाई।’