भारत और अमेरिका ने रक्षा उत्पादन, अहम खनिजों और उच्च प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाकर अपनी वैश्विक रणनीतिक साझेदारी का विस्तार करने के लिए शुक्रवार को व्यापक वार्ता की, जिसमें इजराइल-हमास संघर्ष के कारण पैदा हो रही स्थिति और हिंद-प्रशांत में चीन के सैन्य शक्ति प्रदर्शन पर ध्यान केंद्रित किया गया। भारत-अमेरिका ‘टू प्लस टू’ विदेश और रक्षा मंत्री स्तरीय वार्ता रूस-हमास युद्ध और पश्चिम एशिया में हमास एवं इजराइल के बीच बढ़ रहे संघर्ष के कारण बढ़ती भूराजनीतिक उथल-पुथल के बीच हुई। ‘टू प्लस टू’ मंत्रिस्तरीय वार्ता में अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने किया। भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्री एस. जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया।
उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘हमारे एजेंडे में हमारी रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने पर बात की गई। इसमें हमारे रक्षा संबंधों को मजबूत करने, अंतरिक्ष और प्रौद्योगिकी में आगे बढ़ना, भविष्य में साजो-सामान संबंधी सहयोग और लोगों के आपसी संबंधों पर चर्चा की गई।” उन्होंने कहा,‘‘हिंद-प्रशांत, दक्षिण एशिया, पश्चिम एशिया और यूक्रेन संघर्ष पर भी दृष्टिकोण का आदान-प्रदान किया। बहुपक्षीय क्षेत्र में हमारे सहयोग और इसमें ‘ग्लोबल साउथ’ को शामिल करने की हमारी प्रतिबद्धता की पुष्टि की गई।” ‘ग्लोबल साउथ’ शब्द का इस्तेमाल आम तौर पर आर्थिक रूप से कम विकसित देशों को संदर्भित करने के लिए किया जाता है।
जयशंकर ने टेलीविजन पर प्रसारित टिप्पणी में कहा कि यह बातचीत एक भविष्योन्मुखी साझेदारी और एक साझा वैश्विक एजेंडा बनाने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने का अवसर होगी। ब्लिंकन ने कहा कि अमेरिका और भारत के बीच मजबूत साझेदारी है और दोनों पक्ष भविष्य पर प्रभाव डालने वाले मामलों पर विचार-विमर्श कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हम अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के क्षेत्र में साझेदारी को मजबूत कर रहे हैं और विशेष रूप से नियम-आधारित व्यवस्था को बढ़ावा देने, संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता एवं स्वतंत्रता के सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए काम कर रहे हैं। रक्षा क्षेत्र में हमारा सहयोग इस कार्य का अहम स्तंभ है।”
ब्लिंकन ने कहा, ‘‘हम जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ ‘क्वाड’ (चतुष्पक्षीय सुरक्षा संवाद) के जरिए हमारी साझेदारी को मजबूत करने समेत कई कदम उठाकर एक मुक्त एवं खुले, समृद्ध, सुरक्षित और लचीले हिंद-प्रशांत को बढ़ावा दे रहे हैं।” जयशंकर ने कहा कि दोनों पक्ष अहम प्रौद्योगिकियों, असैन्य बाह्य अंतरिक्ष क्षेत्र और महत्वपूर्ण खनिजों जैसे नए क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाएं तलाश रहे हैं तथा स्थापित क्षेत्रों में अपने सहयेाग को बढ़ा रहे हैं।” उन्होंने जून में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका यात्रा और जी20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए सितंबर में अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन के भारत आने का भी उल्लेख किया।
जयशंकर ने कहा, ‘‘इस वर्ष का मुख्य आकर्षण जून में प्रधानमंत्री (मोदी) की अमेरिका की राजकीय यात्रा थी, जिसने वास्तव में हमारे संबंधों में एक नया अध्याय खोला है। राष्ट्रपति बाइडन की सितंबर में दिल्ली यात्रा ने सकारात्मक रूप से आगे बढ़ रहे हमारे संबंधों में बहुत योगदान दिया।” जयशंकर ने कहा कि जी-20 शिखर सम्मेलन का उपयोगी परिणाम सुनिश्चित करने में राष्ट्रपति बाइडन का योगदान अहम है। उन्होंने कहा, ‘‘आज की बातचीत हमारे नेताओं के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने का अवसर देगी, यह ऐसे समय में दूरदर्शी साझेदारी बनाने में मदद करेगी, जब हम साझा वैश्विक एजेंडा बना रहे हैं।” उन्होंने कहा, ‘‘जैसा कि हमने पहले किया है, हम ‘टू प्लस टू’ में रणनीतिक एवं रक्षा संबंधों, प्रौद्योगिकी और आपूर्ति श्रृंखला सहयोग और लोगों के आपसी संबंधों का व्यापक अवलोकन करेंगे।”