इजराइल और हमास के बीच युद्ध के पहले 25 दिनों में 3,600 से अधिक फिलिस्तीनी बच्चे जान गंवा चुके हैं । गाजा में हमास द्वारा संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से यह जानकारी दी गई। उसने बताया कि बच्चे हवाई हमलों से प्रभावित हुए, रॉकेटों का निशाना बने, विस्फोटों से जल गए और इमारतों के मलबों में दब गए। इनमें नवजात शिशु और छोटे बच्चे, विद्यार्थी, महत्वाकांक्षी पत्रकार और वो बच्चे भी शामिल थे जिन्होंने सोचा कि वे गिरिजाघर में सुरक्षित रहेंगे। भीड़-भाड़ वाली गाजा पट्टी के 23 लाख निवासियों में से लगभग आधे 18 वर्ष से कम उम्र के हैं, और युद्ध में अब तक मारे गए लोगों में से 40 प्रतिशत बच्चे हैं।
615 ऐसे बच्चे शामिल थे जो तीन साल या उससे कम उम्र के थे
पिछले हफ्ते जारी गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के ‘एसोसिएटेड प्रेस’ द्वारा किए गए विश्लेषण से पता चला है कि 26 अक्टूबर तक, 12 साल और उससे कम उम्र के 2,001 बच्चे मारे गए थे, जिनमें 615 ऐसे बच्चे शामिल थे जो तीन साल या उससे कम उम्र के थे। मध्य गाजा शहर दीर अल-बलाह के अल अक्सा मार्टर अस्पताल में अपनी चार वर्षीय बेटी केन्जी को सांत्वना देते हुए लेखक एडम अल-मधौन ने बुधवार को कहा, “जब घर नष्ट हो जाते हैं, तो वे बच्चों के सिर पर गिरते हैं”। वह एक हवाई हमले में बच गईं। हालांकि हमले में उसका दाहिना हाथ कट गया, बायां पैर कुचला गया और खोपड़ी टूट गई।
500 से अधिक रॉकेट लक्ष्य से चूके
इजराइल का कहना है कि उसके हवाई हमलों में हमास के आतंकवादी ठिकानों और बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया गया है, और वह समूह पर नागरिकों को मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाता है। उसने यह भी कहा गया है कि 500 से अधिक रॉकेट लक्ष्य से चूक गए और गाजा में गिरे, जिससे अज्ञात संख्या में फिलिस्तीनी मारे गए। वैश्विक धर्मार्थ संस्था ‘सेव द चिल्ड्रेन’ के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में दुनिया के सभी संघर्षों की तुलना में गाजा में सिर्फ तीन हफ्तों में सबसे अधिक बच्चे मारे गए हैं।
दुनिया भर में लोगों की तीखी प्रतिक्रिया
इसमें कहा गया, उदाहरण के लिए पिछले साल भर में दो दर्जन युद्ध क्षेत्रों में 2,985 बच्चे मारे गए। हाल के हवाई हमलों के दृश्यों में खून से सनी सफेद स्कर्ट पहने एक दिव्यांग बच्चे को गोद में लिए हुए एक बचावकर्ता, अपने बच्चे की लाश को छाती से कसकर चिपकाकर दहाड़े मार कर रोता पिता और खंडहरों में अकेले भटकता खून व धूल से लथपथ एक हैरान परेशान युवा लड़के की तस्वीरें देख दुनिया भर में लोगों की तीखी प्रतिक्रिया हुई। गाजा शहर में मई में पांच दिन तक चली लड़ाई के दौरान अपनी आठ वर्षीय बेटी की मौत से बेजार हो चुके बढ़ई का काम करने वाले 40 वर्षीय अहमद मोदाविक ने कहा, “गाजा में माता-पिता होना एक अभिशाप से कम नहीं।” अक्टूबर की 22 तारीख को हुए हवाई हमलों में अपने परिवार के 68 सदस्यों को खोने वाली यास्मीन जौडा ने कहा, “मौत के चंगुल से आप बच नहीं सकते।”