लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी (सपा) नेता आजम खान, उनकी पत्नी तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम को फर्जी जन्म प्रमाण पत्र के मामले में दोषी करार और सात- सात साल की सजा सुनाए जाने को लेकर सरकार पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने ने ट्वीट कर कहा कि आज़म खान और उनके परिवार को निशाना बनाकर समाज के एक पूरे हिस्से को डराने का जो खेल खेला जा रहा है, जनता वो देख भी रही है और समझ भी रही है। कुछ स्वार्थी लोग नहीं चाहते हैं कि शिक्षा-तालीम को बढ़ावा देनेवाले लोग समाज में सक्रिय रहें। इस सियासी साज़िश के ख़िलाफ़ इंसाफ़ के कई दरवाज़े खुले हैं। ज़ुल्म करनेवाले याद रखें…नाइंसाफ़ी के ख़िलाफ़ एक अदालत अवाम की भी होती है।
बता दें कि रामपुर की एक अदालत ने समाजवादी पार्टी (सपा) नेता आजम खान, उनकी पत्नी तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम को फर्जी जन्म प्रमाण पत्र के पांच साल पुराने मामले में बुधवार को दोषी ठहराते हुए सात साल की सजा सुनाई। एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट शोभित बंसल की अदालत ने फर्जी जन्म प्रमाणपत्र के 2019 के मामले में आजम खान, तंजीन फातिमा और अब्दुल्ला आजम को दोषी ठहराया और अधिकतम सात साल की सजा सुनाई। सक्सेना ने कहा, “तीनों को न्यायिक हिरासत में ले लिया गया और अदालत से ही जेल भेज दिया जाएगा।” तीन जनवरी, 2019 को रामपुर के गंज पुलिस थाने में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक आकाश सक्सेना द्वारा दर्ज करायी गई एक प्राथमिकी में आरोप लगाया गया था कि आजम खान और उनकी पत्नी ने अपने बेटे के दो फर्जी जन्मतिथि प्रमाणपत्र प्राप्त किए।
प्राथमिकी में आरोप लगाया गया था कि आजम खान और उनकी पत्नी ने इसमें से एक जन्म प्रमाणपत्र लखनऊ से और दूसरा रामपुर से प्राप्त किया गया था। आरोप पत्र के अनुसार, रामपुर नगर पालिका द्वारा जारी एक जन्म प्रमाणपत्र में, अब्दुल्ला आजम की जन्म तिथि एक जनवरी, 1993 बताई गई थी। इसके अनुसार दूसरे प्रमाणपत्र के अनुसार उनका जन्म 30 सितंबर, 1990 को लखनऊ में हुआ था। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा के टिकट पर स्वार निर्वाचन क्षेत्र से जीतने वाले अब्दुल्ला आजम को 2008 के एक मामले में दोषी ठहराते हुए गत फरवरी में मुरादाबाद की एक अदालत ने दो साल की सजा सुनाई थी। दोषसिद्धि और सजा के दो दिन बाद, अब्दुल्ला आजम को उत्तर प्रदेश विधानसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। अब्दुल्ला आज़म ने सजा पर रोक के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया जहां उनकी याचिका अस्वीकार कर दी गई।