केंद्र सरकार की वायु गुणवत्ता समिति ने दिल्ली में वायु गुणवत्ता ‘खराब’ श्रेणी में पहुंचने के बाद अधिकारियों को होटल व रेस्तरां में कोयले के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने और प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों व ताप ऊर्जा संयंत्रों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई का निर्देश दिया। सर्दी के दौरान दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए लागू की जाने वाली केंद्र सरकार की चरणबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना (जीआरएपी) के तहत यह कदम उठाया गया है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) जीआरएपी को सक्रिय रूप से लागू करने के लिए जिम्मेदार एक वैधानिक निकाय है।
वायु गुणवत्ता सूचकांक खराब श्रेणी में पहुंचा
आयोग के अनुसार पिछले 24 घंटों में क्षेत्र में वायु गुणवत्ता मापदंडों में “अचानक गिरावट” दर्ज की गई, जिससे दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक 212 यानी खराब श्रेणी में पहुंच गया। आयोग ने एक बयान में कहा, “क्षेत्र में वायु गुणवत्ता में और गिरावट को रोकने के प्रयासों के तहत पूरे एनसीआर में तत्काल प्रभाव से जीआरएपी का पहला चरण लागू करने की आवश्यकता है।”
दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता के आधार पर जीआरएपी को चार चरणों में वर्गीकृत किया गया है। पहला चरण वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 201-300 यानी ‘खराब’ होने पर लागू किया जाता है। दूसरा चरण एक्यूआई 301-400 (बहुत खराब) होने पर, तीसरा चरण एक्यूआई 401-450 (गंभीर) होने पर और चौथा चरण एक्यूआई 450 से अधिक (गंभीर से भी ज्यादा) होने पर लागू किया जाता है
इन चीजों पर लगा बैन
अधिकारियों को दिल्ली के 300 किलोमीटर के अंदर प्रदूषण फैलाने वाली औद्योगिक इकाइयों और ताप ऊर्जा संयंत्रों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने और होटल, रेस्तरां व खुले भोजनालयों के तंदूर में कोयले और जलावन लकड़ी के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का भी काम सौंपा गया है। निर्माण और तोड़फोड़ वाले स्थलों से निकलने वाली धूल पर काबू पाने के लिए दिशानिर्देशों का उचित कार्यान्वयन सुनिश्चित करना भी पहले चरण के तहत आता है। दूसरे चरण के तहत उठाए जाने वाले कदमों में व्यक्तिगत वाहनों के इस्तेमाल को कम करने के उद्देश्य से पार्किंग शुल्क बढ़ाना और सीएनजी/इलेक्ट्रिक बस और मेट्रो सेवाओं को बढ़ावा देना शामिल है।
तीसरे चरण के तहत, दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद और गौतम बौद्ध नगर में पेट्रोल से चलने वाले बीएस-3 इंजन वाले और डीजल से चलने वाले बीएस-4 चार पहिया वाहनों के इस्तेमाल पर रोक लगाने का प्रावधान है। चौथे चरण में सभी प्रकार के निर्माण और तोड़फोड़ कार्यों पर प्रतिबंध लगाना शामिल है। राज्य सरकारें ऐसी स्थितियों के दौरान स्कूली छात्रों के लिए ऑनलाइन कक्षाओं और सरकारी व निजी कार्यालयों के लिए घर से काम करने के बारे में निर्णय लेने के लिए भी अधिकृत है।