मुंबई। अस्पतालों में मरीजों की मौत को लेकर महाराष्ट्र सरकार ने शुक्रवार को बांबे हाई कोर्ट को बताया कि नांदेड़ और छत्रपति संभाजीनगर के सरकारी अस्पतालों में जिन मरीजों की मौत हुई वे दूसरे प्राइवेट अस्पतालों से गंभीर हालत में लाए गए थे। सरकारी अस्पतालों पर काफी बोझ है।
सरकार ने मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस आरिफ डाक्टर की खंडपीठ को यह भी बताया कि सरकारी अस्पतालों की ओर से कोई बड़ी लापरवाही नहीं हुई है। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि राज्य यह कहकर अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकता कि अस्पतालों पर बोझ है। पीठ ने इस सप्ताह की शुरुआत में मौतों पर स्वत: संज्ञान लिया था।
कितने मरीजों की हुई थी मौत?
अधिकारियों के अनुसार, 30 सितंबर से 48 घंटों में नांदेड़ के डा. शंकरराव चव्हाण सरकारी मेडिकल कालेज और अस्पताल में कई शिशुओं सहित 31 मरीजों की मौत हो गई, जबकि छत्रपति संभाजीनगर के सरकारी मेडिकल कालेज और अस्पताल में 18 मरीजों की मौत हुई।
सरकार की ओर से पेश एडवोकेट जनरल बीरेंद्र सराफ ने शुक्रवार को अदालत को बताया कि मरीजों के लिए अस्पतालों में आवश्यक सभी दवाएं और अन्य उपकरण उपलब्ध थे। उन्होंने कहा कि सरकार ने तीन सदस्यीय समिति बनाई है, जो सभी सरकारी अस्पतालों का दौरा करेगी रिपोर्ट सौंपेगी। पीठ ने सरकारी अस्पतालों में खाली पदों पर दुख जताया।
पीठ ने सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग और चिकित्सा शिक्षा और औषधि विभाग के प्रधान सचिवों को सभी सरकारी अस्पतालों में स्वीकृत पदों और ऐसे पदों के खिलाफ रिक्तियों का विवरण देने के लिए शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया। शपथपत्र 30 अक्टूबर तक दाखिल किया जाएगा जब अदालत मामले की आगे सुनवाई करेगी।
‘सरकारी अस्पतालों में हुई मौतों की हो CBI जांच’
राज्य ब्यूरो के अनुसार सरकारी अस्पतालों में हुईं मरीजों की मौतों पर हमला बोलते हुए पूर्व मुख्यमंत्री एवं शिवसेना उद्धव गुट के नेता उद्धव ठाकरे ने इन मौतों की जांच सीबीआइ से करवाने की मांग की है। उद्धव ने कहा