बिहार में जातीय सर्वेक्षण रिपोर्ट प्रकाशित हो जाने के बाद लगातार कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। इसी बीच एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने भी सर्वेक्षण की रिपोर्ट पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण की रिपोर्ट में जिनकी आबादी बढ़ी है। इससे साफ पता चलता है कि एससी, एसटी और ओबीसी बिरादरियों में लोग आज भी निरक्षर हैं, पढ़े-लिखे लोग नहीं है।
‘मुसलमानों की आबादी घटाने का किया गया काम’
अख्तरुल ईमान ने सरकार से मांग की है कि ओबीसी आबादी के लिए सरकार 50 फीसदी आरक्षण लागू करें उसमें ओबीसी मुसलमान को भी हिस्सा मिलना चाहिए। वही उन्होंने कहा कि कलाल बिरादरी के लोगों को मुसलमान से निकालकर हिंदू बिरादरी में शामिल कर दिया गया है, जबकि कलाल बिरादरी के लोग मुसलमान बिरादरी से आते हैं। उन्होंने कहा कि यदि कलाल बिरादरी को मुस्लिम आबादी में जोड़ा जाता तो बिहार में मुसलमान की आबादी 19 फीसदी हो जाती। साथ ही उन्होंने कहा कि कलाल-बिरादरी मुसलमान जाति हैं, लेकिन उसे हिंदू में दिखाकर मुसलमानों की आबादी घटाने का काम किया गया है।
वही, अख्तरुल ईमान ने यह भी कहा कि सरकार जब जाति जनगणना प्रकाशित कर दी है तो उसके अनुसार अब लोगों के लिए सरकार जल्द से जल्द योजना बनाएं ताकि लोगों को योजनाओं का लाभ जल्द से जल्द मिलना शुरू हो जाए।