जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हेट स्पीच के आरापों का सामना कर रहे छात्र को छात्रावास से निकालने पर हंगामा हो गया। विश्वविद्यालय के प्राक्टर की ओर से संस्थान से छात्र को बाहर करने का आदेश दिया गया था।
छात्र भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआइ) का कार्यकर्ता है। एनएसयूआइ ने बयान जारी कर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और वार्डन पर मारपीट के आरोप लगाए हैं। उन्होंने कार्रवाई को नियम विरुद्ध बताया है।
रूसी भाषा में पीएचडी कर रहे दिव्यांग छात्र फारुख पर काफी पहले हेट स्पीच का आरोप लगा था। बाद में जेएनयू प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए उसे संस्थान से बाहर जाने के आदेश दिए थे। एनएसयूआइ जेएनयू इकाई के अध्यक्ष सुधांशु ने कहा, कार्रवाई के खिलाफ कोर्ट से स्टे ले लिया गया था।
वार्डन आए और जबरन छात्रावास के कमरे से फेंका सामान
फारुख कानूनी तौर पर ही कावेरी छात्रावास में रह रहे थे। कुछ दिन पहले ही कोर्ट में फैसला उनके पक्ष में आया था। इसका आदेश की कापी अभी नहीं मिल सकी है। वार्डन आए और जबरन छात्रावास के कमरे से सामान फेंक दिया।
कोर्ट के आदेश की कॉपी हमने बाद में देने की बात की थी, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं सुना। उनके साथ अभाविप के कार्यकर्ता भी थे। उन्होंने मुझे, फारुख, अखिलेश और नवीन को बुरी तरह पीटा। फारुख की हालत खराब हो गई तो एंबुलेंस बुलाकर अस्पताल में ले जाया गया। वह दिव्यांग है, यह जानते हुए भी वार्डन गोपाल ने उसके साथ अमानवीय व्यवहार किया।
सुधांशु ने कहा, हम पुलिस कार्रवाई पर भी विचार कर रहे हैं। मामले अभाविप ने कहा है कि परिषद के किसी कार्यकर्ता ने मारपीट नहीं की है। जेएनयू प्रशासन और उनका निजी मामला है। सभी आरोप बेबुनियाद हैं। मामले में कावेरी छात्रावास के वार्डन गोपाल ने कहा, फारुख के पास कोर्ट का कोई आदेश नहीं था।
प्राक्टर के आदेश के बाद शांतिपूर्वक तरीके से उससे छात्रावास खाली कराया गया है। किसी तरह की मारपीट नहीं की गई है। उन्हें चार नोटिस दिए गए थे। जवाब नहीं देने पर छात्रावास खाली कराने गए थे। तबीयत बिगड़ने पर एंबुलेंस भी जेएनयू प्रशासन की ओर से ही मंगाई गई थी। प्राक्टर कार्यालय से आदेश आए थे, उनका ही पालन किया गया है। मैं खुद दिव्यांग हूं, कुछ भी नियम विरुद्ध नहीं किया गया है।
पूरे मामले को लेकर जेएनयूएसयू के कार्यकर्ताओं में भी उबाल है। उन्होंने बुधवार देर शाम वार्डन गोपाल के घर के बाहर प्रदर्शन कर विरोध जताया। उन्होंने कुलपति प्रो. शांतिश्री धुलिपुड़ी से अभाविप कार्यकर्ताओं और वार्डन पर कार्रवाई की मांग की।