दिल्ली हाईकोर्ट के एक पूर्व न्यायाधीश ने अपने आधिकारिक आवास पर तैनात सुरक्षा कर्मचारियों को निलंबित करने की मांग की क्योंकि उनका पालतू कुत्ता ‘‘खो” गया, जो संतरियों की ‘‘लापरवाही” के कारण खुले दरवाजे से बाहर निकल गया था। हालांकि, न्यायमूर्ति गौरांग कंठ बाद में अपनी मांग से पीछे हट गए और कहा कि वह सुरक्षाकर्मियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं चाहते। दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि न्यायमूर्ति कंठ ने एक शीर्ष पुलिस अधिकारी को पत्र लिखकर उनके आवास पर तैनात सुरक्षाकर्मियों को निलंबित करने की मांग की थी, क्योंकि बंगले के गेट को बंद नहीं करने के कारण उनका पालतू कुत्ता खो गया।
यह पता नहीं चल पाया कि कुत्ता शहर के यातायात में खो गया या किसी वाहन के नीचे कुचला गया। न्यायमूर्ति कंठ को हाल में कलकत्ता हाईकोर्ट में स्थानांतरित किया गया था। न्यायमूर्ति कंठ ने दिल्ली पुलिस को एक पत्र में लिखा, ‘‘मैं बहुत दर्द और पीड़ा के साथ यह पत्र लिख रहा हूं। मेरे आधिकारिक बंगले पर सुरक्षा प्रदान करने वाले अधिकारियों द्वारा कर्तव्य के पालन में लापरवाही और अक्षमता के कारण मैंने अपना पालतू कुत्ता खो दिया।” पत्र में उन्होंने कहा, ‘‘दरवाजा बंद रखने के लिए कई बार कहने के बावजूद मेरे आवास पर तैनात सुरक्षा अधिकारी निर्देशों का पालन करने और अपने पेशेवर कर्तव्य को निभाने में विफल रहे। कर्तव्य के प्रति ऐसी लापरवाही और अक्षमता पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि इससे मेरे जीवन और स्वतंत्रता को गंभीर खतरा हो सकता है।”
उन्होंने कहा, ‘‘सुरक्षा कर्मियों द्वारा अपने कर्तव्यों का पालन करने में इस तरह की लापरवाही से मेरे आवास पर कोई अप्रिय घटना हो सकती है और मुझे अपनी सुरक्षा को लेकर डर है। मेरे आवास के प्रवेश द्वार पर नजर न रखना और आने-जाने वालों पर नजर रखने में समर्पण की कमी असहनीय है।” कंठ ने यह पत्र 12 जून को संयुक्त पुलिस आयुक्त (सुरक्षा) को लिखा था जो सोशल मीडिया पर सामने आया है। उन्होंने दिल्ली पुलिस से अनुरोध किया था कि अधिकारियों को तुरंत निलंबित किया जाए, क्योंकि उनका आचरण सरकारी कर्मचारियों के लिए अशोभनीय था और गहन जांच की जाए।
पहचान जाहिर नहीं करने की शर्त पर एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि कंठ ने उन्हें पिछले महीने पत्र लिखा था। अधिकारी के मुताबिक कंठ ने बाद में उन्हें सूचित किया कि वह अपने आवास पर तैनात पुलिसकर्मियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं चाहते हैं। यह घटना प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ द्वारा उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को पत्र लिखे जाने के कुछ दिनों बाद सामने आई, जिसमें उन्होंने कहा था कि न्यायाधीशों के लिए उपलब्ध प्रोटोकॉल सुविधाओं का इस्तेमाल इस तरह से नहीं किया जाना चाहिए जिससे ‘‘दूसरों को असुविधा हो या न्यायपालिका की सार्वजनिक आलोचना हो।” न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की रजिस्ट्री द्वारा एक न्यायाधीश को हुई ‘असुविधा’ पर रेलवे से स्पष्टीकरण मांगने को लेकर गंभीर आपत्ति जताई थी, जिन्हें देर से चल रही ट्रेन में पैंट्री की सुविधा नहीं मिली थी।