दिल्ली-NCR में अभी बाढ़ का खतरा टला नहीं है। हथिनी कुंड बैराज से लगातार पानी छोड़े जाने के चलते यहां एक फिर से बाढ़ की स्थिति बन सकती है। शुक्रवार की शाम यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया था लेकिन आज सुबह 9 बजे से यमुना खतरे के निशान से नीचे बह रही है। ऐसे में प्रशासन ने लोगों को यमुना से दूर रहने की सलाह दी है।
हथिनी कुंड बैराज से छोड़ा गया साढ़े 5 लाख क्यूसेक पानी
बता दें कि हथिनी कुंड बैराज से आज सुबह 9 बजे 1 लाख 47 हजार क्यूसेक, 10 बजे 2 लाख 9 हजार क्यूसेक और 11 बजे 2 लाख 23 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया। अगर आज दिन भर मूसलाधार बारिश होती रही और हर घंटे में हथिनी कुंड बैराज से पानी छोड़ा जाता है तो अगले 24 से 48 घंटे में इसका असर देखने को मिल सकता है। दिल्ली में युमना खतने के निशान 205.33 मीटर को पार कर सकती है। राजधानी एक बार फिर से बाढ़ के हालातों का सामना कर सकती है।
पंजाब और हरियाणा के कई हिस्सों में गत 24 घंटे से हो रही बारिश की वजह से शनिवार को हथिनीकुंड बैराज के जलस्तर में तेजी से वृद्धि देखी गई। अधिकारियों ने बताया कि जलसंग्रहण क्षेत्र में भारी बारिश की वजह ये यमुनानगर स्थित हथिनीकुंड बैराज में शनिवार सुबह आठ बजे जल प्रवाह दर 87,177 क्यूसेक था जो दोपहर 12 बजे बढ़कर 2,40,832 क्यूसेक के स्तर पर पहुंच गया।बांधों, नदियों और लोगों पर दक्षिण एशिया नेटवर्क के सह समन्वयक भीम सिंह रावत ने कहा, ‘ऊपरी जलग्रहण राज्यों, मुख्य रूप से हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बारिश के बीच पिछले चार से पांच दिनों में जल स्तर में मामूली उतार-चढ़ाव हुआ है।
एक सप्ताह से दिल्लीवासी जलभराव और बाढ़ से जूझ रहे
दिल्ली के ऊपरी हिस्सों में भारी बारिश होने की स्थिति में, जल स्तर में वृद्धि से राजधानी के बाढ़ग्रस्त निचले इलाकों में प्रभावित परिवारों के पुनर्वास की गति धीमी हो सकती है और उन्हें लंबे समय तक राहत शिविरों में रहना पड़ सकता है। इसका असर शहर में पानी की आपूर्ति पर भी पड़ सकता है जिसमें स्थिति मंगलवार को ही सामान्य हो पाई। वजीराबाद में एक पंप हाउस में पानी भर जाने के कारण चार से पांच दिनों तक स्थिति प्रभावित हुई थी। यह पंप हाउस वजीराबाद, चंद्रावल और ओखला जल उपचार संयंत्रों को कच्चे पानी की आपूर्ति करता है, जो शहर की आपूर्ति का लगभग 25 प्रतिशत है। दिल्ली के कुछ हिस्से पिछले एक सप्ताह से अधिक समय से जलभराव और बाढ़ से जूझ रहे हैं।
शुरुआत में, आठ और नौ जुलाई को अत्यधिक बारिश से भारी जलभराव हुआ और इन दो दिनों में शहर में मासिक कोटे की 125 प्रतिशत बारिश हुई। इस बीच यमुना नदी के हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और हरियाणा समेत ऊपरी जलग्रहण इलाकों में भारी बारिश से जलस्तर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। जल के बहाव ने तटबंधों को तोड़ दिया और चार दशकों की तुलना में शहर के काफी अंदर तक घुस गया। बाढ़ के परिणाम विनाशकारी रहे हैं, शहर में 27,000 से अधिक लोगों को उनके घरों से निकाला गया। संपत्ति, व्यवसाय और कमाई के मामले में नुकसान करोड़ों तक पहुंच गया है। दिल्ली में अभूतपूर्व बाढ़ के लिए विशेषज्ञ यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र पर अतिक्रमण, थोड़े समय के भीतर अत्यधिक वर्षा और गाद जमा होने को कारण बताते हैं।