जालंधर: कनाडा में खालिस्तानियों का बीते रविवार को हुआ जनमत संग्रह फिर फीका रहा। बताया जा रहा कि भारत द्वारा कनाडा सरकार पर बनाए जा रहे दबाव के कारण जनमत संग्रह में आने वाले सिख समुदाय के लोगों की संख्या घटती जा रही है। जिस हिसाब से इस जनमत संग्रह का प्रचार किया गया था, उस हिसाब से इसमें हिस्सा लेने वालों की संख्या मुट्ठी भर रह गई है। इस जनमत संग्रह को भारत द्वारा प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस (एस.जे.एफ.) द्वारा ही करवाया गया था। सूत्रों का कहना है कि चंद खालिस्तानी जनमत संग्रह के नाम पर भारतीय समुदाय के लोगों में तनाव पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।
भारत ने इस बार भी जताई थी आपत्ति
भारत ने इस बार करवाए गए जनमत संग्रह पर भी आपत्ति जताई थी। बताया जा रहा है कि पिछले साल ब्रैम्पटन में हुए जनमत संग्रह में प्रशासन ने सार्वजनिक सामुदायिक केंद्र का उपयोग करने की अनुमति दी गई थी, लेकिन इस बार भारत के दबाव के चलते एस.जे.एफ. को आयोजन के लिए ऐसी जगह देने से इनकार कर दिया गया। हालांकि एस.जे.एफ. ने दावा किया था कि यह जनमत संग्रह उन लोगों के लिए करवाया जा रहा है जो पहले वोट देने से चूक गए थे।
मतदान केंद्र का नाम कनाडाई निवासी मोहिंदर सिंह कूनर के नाम पर रखा गया है, जिसे 1989 को भारत-पाकिस्तान सीमा के पास राजस्थान में सीमा सुरक्षा बलों ने मार गिराया था। कूनर का आतंकी संगठन खालिस्तान लिबरेशन फोर्स और इंटरनेशनल सिख यूथ से सीधा संबंध था। ये दोनों संगठन कनाडा में आतंकवादी संगठनों के रूप में प्रतिबंधित हैं।
पंजाब सरकार भी अपना रही है कड़ा रुख
जनमत संग्रह में फेल होने का एक कारण यह भी बताया जा रहा है कि पंजाब से भारत पढ़ने वाले छात्रों के अभिभावकों ने उन्हें इस तरह की भारत विरोधी गतिविधियों में हिस्सा लेने से इनकार दिया था। दूसरी ओर पंजाब सरकार ने भी कनाडा में भारत विरोधी गतिविधयों को लेकर कड़ा रुख अपनाना शुरू कर दिया है। पंजाब से कनाडा पढ़ने जाने वाले छात्र यदि वहां भारत विरोधी गतिविधियों में संलिप्त पाए जाते हैं तो उन्हें कनाडा की नागरिकता के लिए सरकार से मिलने वाली क्लियरेंस में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
छात्रों को गुमराह कर रहा है SJF
गौरतलब है कि आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू का संगठन एस.जे.एफ.पंजाब से कनाडा पढ़ाई के लिए जाने वाले सिख समुदाय के बच्चों को गुमराह कर अपनी खालिस्तानी राजनीति को जीवंत रखना चाहते हैं। गौरतलब है कि हाल ही में असोसियेट टाइम्स द्वारा करवाए गए सर्वे में पाया गया है कि खालिस्तानी समर्थक विदेशों में सिख समुदाय के लोगों से भारत में खालिस्तान आंदोलन चलाने के पैसा एकत्रित करते हैं। इस पैसे को वे कभी भारत भेजते ही नहीं हैं और विदेशों में अपने लिए संपत्तियां खरीद रहे हैं।