राष्ट्रीय राजधानी में आई बाढ़ में अपनी पोशाक और किताबें खोने वाले छात्रों को इसके बिना कक्षाओं में तब तक शामिल होने की अनुमति दी जाएगी, जब तक कि उनके लिए पोशाक और नई किताबों की व्यवस्था नहीं हो जाती है। एक बयान में यह जानकारी दी गई। शिक्षा निदेशालय (डीओई) के एक परिपत्र में कहा गया है, ‘‘सभी सरकारी स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को यह सुनिश्चित करने का निर्देशित किया जाता है कि सभी बाढ़ प्रभावित छात्रों को हालिया बाढ़ में हुए नुकसान से उबरने के लिए भावनात्मक और नैतिक समर्थन दिया जाए।”
इसमें कहा गया है, ‘‘उन्हें निर्देश दिया जाता है कि जब तक पोशाक और नयी पाठ्यपुस्तकों की व्यवस्था नहीं हो जाती, तब तक इन छात्रों को बिना पोशाक और पाठ्यपुस्तकों के भी स्कूल आने की अनुमति दी जाए।” दिल्ली सरकार के परिपत्र में कहा गया है कि राष्ट्रीय राजधानी में आई बाढ़ के कारण यमुना के किनारे रहने वाले कई परिवारों को काफी नुकसान हुआ है। इसमें कहा गया, ‘‘कुछ परिवारों के घर का पूरा सामान बह गया। ऐसे कई बच्चे हैं जिन्होंने बाढ़ में अपने कपड़े और किताबें खो दी हैं और अपनी संपत्ति और दस्तावेजों के नुकसान से बहुत परेशान हैं।
बच्चे स्कूल वापस जाने से झिझक रहे हैं क्योंकि उनके पास किताबें और पोशाक नहीं हैं।” इससे पहले, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि प्रभावित बच्चों के लिए किताबों और पोशाक की व्यवस्था सरकार की ओर से की जाएगी। भारी बारिश के बाद यमुना नदी में जलस्तर 208 मीटर के स्तर को पार करने के बाद सभी सरकारी और निजी स्कूल 13 जुलाई से 16 जुलाई तक बंद कर दिए गए थे। अधिकारियों के मुताबिक, छह जिलों के निचले इलाकों में सरकारी और निजी स्कूल 18 जुलाई तक बंद रहेंगे और 19 जुलाई से कक्षाएं फिर से शुरू होंगी।