तीस हजारी अदालत परिसर के अंदर पथराव, फायरिंग व हिंसा की घटना में संलिप्तता पाए जाने के मामले पर कठोर कार्रवाई करते हुए बार काउंसिल ऑफ दिल्ली (बीसीडी) ने सख्ती से निपटते हुए 15 और अधिवक्ताओं का पंजीकरण निंलबित कर दिया है।
अब तक 20 अधिवक्ताओं पर हो चुकी है कार्रवाई
यह पहला मौका है जब बीसीडी ने इतनी बड़ी संख्या में अधिवक्ताओं का पंजीकरण निंलबित किया है। पूर्व में पांच अधिवक्ताओं का पंजीकरण निंलबन के साथ अब तक कुल 20 अधिवक्ताओं का पंजीकरण निंलबित हो चुका है।
बीसीडी चेयरमैन केके मनन ने उक्त कार्रवाई वरिष्ठ अधिवक्ता व पूर्व बीसीडी चेयरमैन राकेश सेहरावत की अध्यक्षता में नियुक्त की गई फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की अंतरिम रिपोर्ट पर की। केके मनन ने बताया कि अभी चार से पांच और अधिवक्ताओं के नाम संदेह के दायरे में हैं और उनके खिलाफ भी आने वाले दिनों में कार्रवाई की जा सकती है।
उन्होंने कहा कि कमेटी की जांच के दौरान कई अधिवक्ताओं ने सामने आकर पूरी घटना से जुड़े वीडियो, तस्वीरें और जानकारियां उपलब्ध कराई। जिसके आधार पर इन 15 अधिवक्ताओं के हिंसा में शामिल होने की पहचान की है।
इन अधिवक्ताओं का पंजीकरण हुआ निलंबित
बीसीडी द्वारा पंजीकरण निलंबित होने वाले अधिवक्ताओं में अधिवक्ता शिव राम पांडे, विभू त्यागी, शरद शर्मा, अमूल्य शर्मा, दीपक अरोड़ा, जीतेश खारी, विशाल यादव, राजदीप सिंह, राहुल शर्मा, संजय कुमार, सतीश कुमार, ललित, संदीप सूद, आकाश खत्री और मोहित शर्मा का नाम शामिल है।
इन सभी अधिवक्ताओं को 25 जुलाई को शाम चार बजे बीसीडी कार्यालय में अपना स्पष्टीकरण पेश करने का आदेश दिया गया है। इससे पहले बीसीडी ने फायरिंग करने वाले दिल्ली बार एसोसिएन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष व अधिवक्ता मनीष शर्मा के साथ अधिवक्ता ललित शर्मा, अधिवक्ता अमन सिंह, अधिवक्ता सचिन सांगवान और अधिवक्ता रवि गुप्ता का पंजीकरण निलंबित कर दिया था।
तीस हजारी में हुई घटना की पुनरावृत्ति रोकने के लिए बीसीडी इस बार कोई मुरव्वत नहीं करेगी और इसी क्रम में कमेटी की अंतरिम रिपोर्ट के आधार पर और 15 अधिवक्ताओं का पंजीकरण निलंबित किया गया है।