पटना: बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने विभाग के शीर्ष अधिकारी के साथ चल रहे विवाद के बीच गुरुवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद प्रमुख लालू प्रसाद से मुलाकात की। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद शिक्षा मंत्री ने पत्रकारों से कहा, ‘‘मैंने मुख्यमंत्री से मुलाकात की और अपने विभाग से जुड़े मुद्दों पर चर्चा भी की।”
यह पूछे जाने पर कि बैठक में क्या शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक भी मौजूद थे, मंत्री ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री आवास में पाठक की मौजूदगी के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है।” इससे पहले दिन में चंद्रशेखर ने पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के सरकारी आवास पर राजद प्रमुख लालू प्रसाद से मुलाकात की। लालू प्रसाद से मुलाकात के बाद शिक्षा मंत्री ने पत्रकारों के सवालों से यह कहकर बचने की कोशिश की कि विभाग में कोई विवाद नहीं है। अपर मुख्य सचिव के साथ विवाद के बारे में पूछे जाने पर चंद्रशेखर ने कहा, ‘‘मुझे अपने विभाग से जुड़े विवाद के बारे में मीडिया के माध्यम से ही पता चला है। पहले मुझे विभाग में हाल के घटनाक्रमों के बारे में जानने दीजिए। उसके बाद ही मैं कुछ भी टिप्पणी कर पाऊंगा।”
यह पूछे जाने पर कि मंत्री या अपर मुख्य सचिव में श्रेष्ठ कौन है, चंद्रशेखर ने कहा, ‘‘संविधान में बहुत स्पष्ट रूप से इसे परिभाषित किया गया है।” इससे पहले एक जुलाई को चंद्रशेखर के निजी सहायक कृष्ण नंद यादव ने पाठक को एक पत्र लिखा था, जिसके बाद विभाग के कार्यालय में उनके प्रवेश करने पर रोक लगा दी गई है। यादव ने पाठक को लिखे पत्र में कहा है कि मंत्री ने हाल के घटनाक्रमों पर अपनी नाराजगी जताई है, जिसमें यह देखा गया है कि विभाग से संबंधित नकारात्मक खबरें मीडिया में आ रही हैं। यहां तक कि आधिकारिक पत्र या विभागीय संचार मंत्री के कक्ष तक पहुंचने से पहले ही मीडिया में लीक हो जाते हैं। यह लोक सेवकों के कामकाज संबंधी नियमों के विरुद्ध है। विभाग को ऐसे अधिकारियों की पहचान करनी चाहिए और उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई करनी चाहिए। इस पर शिक्षा विभाग के निदेशक (प्रशासन) सुबोध कुमार चौधरी ने यादव को पांच जुलाई को सख्त लहजे में एक पत्र लिख कर कहा था कि आप शिक्षा विभाग के कार्यालय में भौतिक रूप से प्रवेश नहीं कर सकते हैं।