पलवल पुलिस के चालान शाखा में कार्यरत पुलिसकर्मियों द्वारा एक बड़ा घोटाला सामने आया है। जिसमें चालान ब्रांच में तैनात कर्मचारियों ने वर्ष 2020 से अप्रैल 2023 तक विभिन्न चौकी थानों में काटे गए वाहनों के चालानों की रकम को विभाग के खातों में जमा न करवाकर खुद हजम कर गए। डीएसपी ट्रैफिक संदीप मोर ने कैंप थाना पुलिस को शिकायत देकर उक्त मामले में दो पुलिसकर्मियों के खिलाफ संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज करा दिया है। जिसकी जांच डीएसपी विजयपाल कर रहें हैं।
पलवल ट्रैफिक डीएसपी संदीप मोर ने मामले की जानकारी देते हुए बताया कि आरोपी पुलिसकर्मियों द्वारा ई-चालान राशि की कुल रकम 3 करोड़ 20 लाख 19 हजार 650 रुपये का गबन किया गया है। जून माह 2020 में विभिन्न चौकी थानों में ई चालान मशीन द्वारा काटे गए चालानों की कुल राशि 1 लाख 38 हजार 500 रुपये बैंक खाते में जमा नहीं कराये गए। इसी तरह अक्टूबर माह में 1 लाख 39 हजार 500 रुपये किसी भी खाते में जमा नहीं कराये गए और न ही पर्चियों का मिलान हो सका। जिसके चलते फर्जी चालान पर्ची बनाये जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। जिसकी जांच भी जारी है। इस दौरान प्रधान सिपाही जनक की तैनाती ब्रांच में थी।
डीएसपी ने बताया की एक अगस्त 2021 से 31 अगस्त 2021 तक चालानों के माध्यम से विभाग को 14 लाख 76 हजार 200 रुपये प्राप्त हुई। जिसमें से कर्मचारियों ने 14 हजार 500 रूपये कम जमा कराये। इस तरह एक अक्टूबर से 29 अक्टूबर तक 14 लाख 18 हजार 900 रुपये प्राप्त हुए। जिसमें आरोपियों द्वारा 1800 रुपये ज्यादा जमा करायेगे गए। उन्होंने बताया कि जांच के दौरान प्रधान सिपाही जनक की तैनाती के दौरान कुल 3 करोड़ 22 लाख 97 हजार 150 रुपये सरकारी खाते में जमा नहीं कराये गए। जबकि ईएचसी ओमबीर की तैनाती के दौरान 12 हजार 700 रुपये सरकारी खाते में जमा नहीं कराये गए।
डीएसपी ने बताया की उक्त दोनों पुलिसकर्मियों ने नियमों की जानकारी होने के बावजूद अपने पद का दुरूपयोग कर सरकारी पैसा को सरकारी खाते में जमा न करवाकर सरकार को आर्थिक नुकसान पहुँचाया है। जिसके चलते दोनों आरोपियों जनक व ओमबीर के खिलाफ संबंधित धाराओं में मामला दर्ज कर लिया है व मुख्य आरोपी जनक को गिरफ्तार कर लिया गया है। जबकि दूसरा आरोपित ओमबीर अभी पुलिस गिरफ्त से बाहर है। जल्द ही उसे भी गिरफ्तार किया जायेगा। डीएसपी के अनुसार मामले की जांच अभी जारी है। गिरफ्तार आरोपी को पुलिस रिमांड पर लिया जाएगा। रिमांड अवधि के आरोपी से यह भी पता लगाया जाएगा कि उसने गबन की गई राशि को कहां खर्च किया है।