राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की एक अदालत ने 2020 में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुये दंगों के दौरान आगजनी और चोरी की वारदात में शामिल तीन लोगों को यह कहते हुए बरी कर दिया कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में भी असमर्थ रहा कि जिन घटनाओं की जांच की जा रही है उसके पीछे दंगाई भीड़ थी। अदालत दिनेश यादव, संदीप और टिंकू के खिलाफ मामले की सुनवाई कर रही थी, जिनके खिलाफ उस दंगाई भीड़ में शामिल होने का आरोप था, जिसने फर्नीचर की एक दूकान में तोड़फोड़ और चोरी की वारदात को अंजाम दिया था। उनके खिलाफ 24 और 25 फरवरी 2020 की रात को भागीरथी विहार में एक सिलाई इकाई को नष्ट करने के लिए आग और विस्फोटक पदार्थ का इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाया गया था।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला ने बुधवार को अपने फैसले में कहा, ‘‘”मुझे लगता है कि आरोपियों के खिलाफ लगाए गए आरोप बिल्कुल भी साबित नहीं हुए हैं। इसलिए, आरोपी… इस मामले में उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों से बरी किए जाते हैं।” इसके साथ ही न्यायाधीश ने कहा कि अभियोजन पक्ष का यह आरोप है कि ये लोग उस भीड़ का हिस्सा थे, जिन्होंने संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया था। उन्होंने कहा कि हालांकि, अभियोजन यह भी साबित नहीं कर सका कि इन घटनाओं के पीछे भीड़ थी, और उस स्थिति में निष्कर्ष यह है कि घटनाओं में अभियुक्तों की संलिप्तता दिखाने के लिए रिकॉर्ड पर कोई साक्ष्य नहीं है। एएसजे प्रमाचला ने कहा कि इस बात की ‘‘जबरदस्त संभावना” हो सकती है कि दोनों स्थानों पर घटनाएं दंगाई भीड़ के कारण हुईं लेकिन संभावना सबूत नहीं बन सकती।
जज ने कहा, “…यह सुनवाई के सबूतों या केवल संभावना के आधार पर अभियोजन पक्ष के अनुमान का मामला बना हुआ है कि इन घटनाओं के पीछे एक भीड़ थी।” उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि अनुमान या मजबूत संदेह सबूत का विकल्प नहीं हो सकता है, और इसलिए सबूत के अभाव में यह नहीं माना जा सकता है कि दोनों घटनाओं के पीछे दंगाई भीड़ थी। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने चार गवाहों के साक्ष्य पर भरोसा किया था लेकिन उनमें से किसी ने भी घटनाओं के गवाह होने के बारे में कुछ नहीं कहा। राजधानी दिल्ली के गोकुलपुरी पुलिस थाने में तीनों आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।