चेन्नई सुपर किंग्स के खिलाफ हार के साथ ही दिल्ली कैपिटल्स के लिए प्लेऑफ के दरवाजे लगभग बंद हो गए हैं। इस सीजन में दिल्ली नियमित कप्तान पंत के बगैर गलतियों का टोकरा लेकर मैदान पर उतरी थी। भले ही दिल्ली के पास 2 बार का आई.पी.एल. चैम्पियन डेविड वॉर्नर था लेकिन बढ़ती उम्र के साथ विरोधियों के तेज होते हमलों के आगे उनकी नजर भी धुंधली होती दिखी।
पिछले 2 सीजन में जहां दिल्ली की बल्लेबाजी अटैकिंग दिख रही थी तो वहीं, 2023 में वॉर्नर के हाथ कप्तानी आते ही इसे दीमक लग गई। वॉर्नर भले ही सीजन में 4 अर्धशतक लगा चुके हैं लेकिन उनकी स्ट्राइक रेट सिर्फ 119 जा रही है। हैदराबाद, गुजरात, चेन्नई के खिलाफ अहम मुकबालों में उनके बल्ले से 0, 2, 0 रन ही निकले जिसे कोई भी कप्तानी पारी नहीं कहेगा। यह कहना अत्कथनी नहीं होगा कि वॉर्नर को उनकी कप्तानी के लिए अगर ‘0’ नंबर दिया जाए तो कुछ गलत नहीं होगा।
ऊपर से चेपॉक का किला भेदना भी दिल्ली के मुश्किल होता जा रहा है। दिल्ली यहां खेले लगातार 6 मुकाबले चेन्नई से हारा है। अब उम्मीद होगी कि अगले बरस पंत वापस आए और कप्तानी संभालते हुए दिल्ली को पटरी पर लाएं। क्योंकि वॉर्नर के पास यह आखिरी मौका था जिसमें वह बुरी तरह से विफल हो गए हैं।
इसलिए दिल्ली हुई कमजोर
– दिल्ली के खराब प्रदर्शन की एक वजह पृथ्वी शॉ भी हैं। इंस्टाग्राम मॉडल के साथ अनावश्यक दबाव के बाद से पृथ्वी का प्रदर्शन आईपीएल में स्तरीय नहीं रहा था। खराब प्रदर्शन के कारण उन्हें प्लेइंग-11 से भी बाहर कर देना पड़ा। ऊपर से कमजोर मिडिल क्रम भी दिल्ली को ले ढूंबा।
– दिल्ली ने इस सीजन में अमन हाकिम खान पर भरोसा किया था जिनपर डैथ ओवर्स में रन खींचने की उम्मीद की जा रही थी लेकिन अमन एक मैच को छोड़कर बाकियों में विफल हो गए।
– सरफराज खान का न चलना भी दिल्ली पर भारी पड़ा। रणजी ट्रॉफी क्रिकेट में रिकॉर्ड पर रिकॉर्ड बनाने वाले सरफराज इस सीजन के चार मैचों में अब तक 53 रन ही बना पाए हैं।
– पंत की गैरहाजिरी में जिस रिपल पटेल को टीम में शामिल किया गया था, उनका प्रदर्शन सबको निराश कर गया। रिपल ने अब तक पांच मुकाबले खेले हैं जिसमें वह 49 रन ही बना पाए हैं।
– फिलिप सॉल्ट ने दो मैचों में टीम के लिए उपयोगी पारियां (59 बनाम हैदराबाद, 87 बनाम बेंगलुरु) जरूर खेलीं। लेकिन वह तीन मैचों में 0, 0, 5 रन बनाकर पवेलियन लौट गए।
प्वाइंट टेबल की अगर बात की जाए तो दिल्ली 11 में से 7 मैच गंवाकर आखिरी स्थान पर ही टिकी हुई है। शुरूआती पांच मैच लगातार गंवाने के बाद हालांकि दिल्ली ने कुछ उम्मीद भी जगाई थी जब उन्होंने पांच में से चार मुकाबले जीत लिए थे। लेकिन चेन्नई से अहम मुकाबला गंवाने के साथ ही दिल्ली ने प्लेऑफ की उम्मीदें खत्म कर ली हैं।