प्रदेश में जैसे- जैसे चुनाव नजदीक आ रहे है वैसे- वैसे सियासत समीकरण बदलते नजर आ रहे है। कुछ ऐसे ही बदले समीकरण बीकानेर के जसरासर में आयोजित किसान सम्मलेन में देखने को मिला। इस किसान सम्मेलन में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा सहित कई कांग्रेस के बड़े नेता मौजूद रहे। लेकिन सबसे खास मुद्दा रहा कि किसान सम्मेलन में राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट को बुलाया ही नहीं गया। विपक्ष में रहकर साथ संघर्ष करने वाले सचिन पायलट को सम्मेलन में नहीं बुलाने को नए सियासी समीकरण से जोड़कर देखा जा रहा है।
विपक्ष में साथी रहे रामेश्वर डूडी अब पायलट से अलग हो गए हैं। दरअसल नोखा के जसरासर का यह किसान सम्मेलन रामेश्वर डूडी के नेतृत्व में किया गया था। इस सम्मेलन को रामेश्वर डूडी का शक्ति प्रदर्शन कहा जा रहा है। कभी सचिन पायलट और रामेश्वर डूडी के रिश्ते बेहद ख़ास हुआ करते थे, लेकिन वक्त के साथ इस जोड़ी पर धूल की परत जमती गई है। कुछ समय पहले तक सचिन पायलट के नजदीकी माने जाने वाले रामेश्वर डूडी द्वारा पायलट को इस किसान संम्मलेन आयोजन में नहीं बुलाया जाना राजनीति विश्लेषकों का चर्चा का केंद्र बन गया है। वही सम्मलेन में किसान से जायदा सचिन पायलट का इस कार्यक्रम में मौजूद नहीं रहना काफी चर्चा का विषय बना रहा।
वर्ष 2018 में वसुंधरा राजे की सरकार के समय रामेश्वर डूडी विधानसभा प्रतिपक्ष के नेता थे और सचिन पायलट कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष थे। ऐसे में दोनों की जोड़ी हर जगह संघर्ष करती नजर आती थी। दोनों ने वसुंधरा के कार्यकाल के दौरान पैदल यात्रा भी की थी। लेकिन आज दोनों की राह अलग -अलग नजर आ रही है। बताया जाता है की साल नवंबर 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट बंटवारे को लेकर दोनों के बीच में तू तू मैं मैं हुई थी। दोनों अपने समर्थकों को टिकट दिलवाना चाहते थे जिसके बाद दोनों के रिश्ते में खटास आ गई थी। वही डूडी की मुख्यमंत्री गहलोत से नाराजगी भी जगजाहिर रही है।
राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के चुनाव के दौरान तो दोनों खुलकर आमने-सामने आए थे लेकिन अब परिस्थितियां बदल चुकी हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि रामेश्वर डूडी की सीएम अशोक गहलोत की नजदीकियों की वजह से ही सचिन पायलट से दूरियां देखने को मिल रही है। वहीं इस सम्मेलन को सचिन पायलट के अनशन के जवाब के रूप में भी देखा जा रहा है। जहां मंच पर कांग्रेस एकजुटता का मैसेज देते दिखाई दी तो वही पायलट अलग-थलग दिखाई दे रहे हैं। फिलहाल आगामी दिनों में प्रदेश की सियासत में ऐसे और समीकरण देखने को मिलेंगे।