बिल्डर फ्लोर यानी स्टिल्ड पार्किंग के साथ 4 मंजिला फ्लैट बनाने के मामले में सरकार द्वारा लगाई गई अस्थाई रोक अब सरकार के लिए गले की फांस बन गई है। दरअसल, सरकार 2.64 एफएआर (फ्लोर एरिया रेशियो) के साथ पूरे प्रदेश में लगभग 10 हजार प्लॉट बेच चुकी है। ऐसे में यदि बिल्डर फ्लोर पर स्थाई रोक लगा दी गई तो ये प्लॉट खरीदने वाले लोग सरकार से पैसा वापसी की मांग कर सकते हैं। क्योंकि, 66 प्रतिशत प्रति फ्लोर के अनुसार 4 मंजिल में ही 2.64 एफएआर मिल सकता है। यदि सरकार ने 3 मंजिला फ्लैट की अनुमति को ही स्थाई रूप से लागू कर दिया तो एफएआर 2.64 से घटकर 1.98 रह जाएगा।
हालांकि सरकार ने इस सारे मामले पर पूरे हरियाणा से सुझाव व आपत्तियां मांगे हैं। आपत्तियां दाखिल करने के लिए 6 अप्रैल अंतिम तारीख है। प्रदेश के विभिन्न जिलों में बन रहे बिल्डर फ्लोर के अंतर्गत स्टिल्ट पार्किंग के साथ 4 फ्लोर वाले फ्लैटों पर पिछले दिनों सरकार ने रोक लगा दी थी। सबसे पहले इस मामले में पंचकूला जिले में रोक लगाई गई थी। उसके बाद फरीदाबाद व गुरुग्राम में लोगों के विरोध को देखते हुए पूरे हरियाणा में इस पर अस्थाई रोक लगा दी थी। दरअसल, स्थानीय लोग इस बात को लेकर विरोध कर रहे थे कि 4 मंजिला भवन की नींव गहरी खोदने के दौरान साथ वाले मकान की दीवारों में दरारें आ जाती हैं और फर्श भी खराब हो जाता है। इसके साथ- साथ विरोध जताने वाले लोगों की यह भी आपत्ति थी कि पुराना आधारभूत ढांचा जिसमें सड़क, सीवर और बिजली, पानी शामिल है, वह इतना मजबूत नहीं है कि एक प्लॉट पर 4 परिवारों का बोझ सह सके। इस विरोध को देखते हुए सरकार ने बिल्डर फ्लोर पर अस्थाई रोक लगाई थी लेकिन सरकार द्वारा लगाई गई ही रोक अब सरकार के गले की फांस बनती जा रही है।
दरअसल, पिछले कुछ समय से सरकार 2.64 एफएआर के साथ लगभग 10 हजार प्लॉट पूरे हरियाणा के विभिन्न जिलों में बेच चुकी है। आधिकारिक तौर पर एक फ्लोर पर 66 फीसदी हिस्से पर ही निर्माण किया जा सकता है। यदि 4 मंजिल स्टिल्ट पार्किंग के अतिरिक्त बनाई जाएंगी तो ही 2.64 एफएआर पूरा होता है लेकिन इस पर रोक लगने से वे लोग भी संकट में आ गए हैं जिन्होंने सरकारी सैक्टरों में नीलामी में 2.64 एफएआर के साथ प्लॉट खरीदे थे। सरकार के सामने अब यह समस्या पैदा हो गई है कि यदि वह प्रदेश के विरोध करने वाले नागरिकों को नजरअंदाज करती है तो सरकार को बेचे गए प्लॉट वापिस लेने होंगे। यही कारण है कि सरकार इस सारे मामले में प्रदेशवासियों की राय ले रही है। पोर्टल के माध्यम से सरकार यह जानना चाह रही कि इस मामले के विरोध में कितने और किस स्तर पर लोग हैं और उनके विरोध का आधार कितना तर्क संगत है।
भारी रकम वसूल रही थी सरकार
बिल्डर फ्लोर की एवज में सरकार राजस्व के रूप में भारी रकम वसूल कर रही थी। 100 गज से एक हजार वर्ग गज तक के प्लॉट पर सरकार 5 लाख से 1 करोड़ रुपए तक अतिरिक्त एफएआर के नाम पर वसूल कर रही थी। इसके साथ-साथ फ्लोर अनुसार रजिस्ट्री पर भी एक प्रतिशत स्टाप इयूटी अधिक वसूल की जा रही थी। इसके अलावा चौथी मंजिल पर किचन बनाने पर ईडीसी यानि एक्सटर्नल डेवलेपमेंट चार्ज भी लिया जा रहा था। सरकार को बिना कुछ किए पुराने प्लॉटों पर जमकर राजस्व की प्राप्ति हो रही थी। यही कारण था कि सरकार ने चार मंजिला फ्लैट की इजाजत देते एफएआर 2.64 किया था। हालांकि इस नीति से कम आमदनी वाले लोगों के लिए भी घर लेना आसान हो गया था लेकिन कमजोर आधारभूत ढांचे के कारण लोगों का विरोध लगातार बढ़ता चला गया। लोगों का यह भी कहना है कि सरकार यदि बिल्डर फ्लोर की इजाजत देना ही चाहती है तो उसे अलग व नए सैक्टरों में लागू किया जाना चाहिए जहां आधारभूत ढांचा उसके अनुकूल बनाया गया हो।