दक्षिण कोरिया, अमेरिका और जापान ने उत्तर कोरिया के कामगारों पर प्रतिबंध लगाने तथा साइबर अपराधों पर रोक लगाने के लिए दृढ़ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का आह्वान किया, ताकि देश के परमाणु कार्यक्रम को वित्तपोषित करने के साधनों को अवरुद्ध किया जा सके। उत्तर कोरिया में परमाणु हथियार के बढ़ते जखीरे से निपटने के तरीके पर चर्चा करने के लिए दक्षिण कोरिया, अमेरिका और जापान के परमाणु दूतों ने शुक्रवार को सियोल में बैठक की। उत्तर कोरिया के हाल के हथियारों के परीक्षण से पता चलता है कि वह बातचीत के मार्ग पर लौटने के बजाय अमेरिका और उसके सहयोगियों पर हमला करने के लिए अधिक उन्नत मिसाइल बनाने का इरादा रखता है।
संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों के चलते देश की आर्थिक और खाद्य समस्या गहराने तथा महामारी से संबंधित कठिनाइयों के बावजूद उत्तर कोरिया अभी भी अपने परमाणु और मिसाइल कार्यक्रमों के लिए अपने दुर्लभ संसाधनों का इस्तेमाल करता है। विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तर कोरिया की क्रिप्टो हैकिंग और अन्य अवैध साइबर गतिविधियों तथा चीन, रूस और अन्य जगहों पर रह रहे उत्तर कोरियाई कामगारों को संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2019 के अंत तक उन्हें वापस भेजने के आदेश के बावजूद उनके हथियार कार्यक्रम के वित्तपोषण में योगदान करने की संभावना है। दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्रालय के अनुसार एक संयुक्त बयान में, दक्षिण कोरियाई, अमेरिकी और जापानी दूतों ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से विदेशों में उत्तर कोरियाई कामगारों पर प्रतिबंध लगाने के संबंध में संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का पूरी तरह से पालन करने का आग्रह किया।
मंत्रालय ने कहा कि बड़ी संख्या में उत्तर कोरियाई कामगार दुनिया भर में आर्थिक गतिविधियों में लगे हुए हैं और धन को स्थानांतरित करते हैं जिसका इस्तेमाल उत्तर कोरिया के हथियार कार्यक्रमों में होता है। बयान में कहा गया कि तीनों दूतों ने उत्तर कोरिया के कामगारों पर ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की है क्योंकि वैश्विक स्तर पर कोविड-19 की स्थिति में सुधार होने पर उत्तर कोरिया अपनी अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को फिर से खोल सकता है। यह ज्ञात नहीं है कि उत्तर कोरिया के कितने कामगार विदेश में रहते हैं। हालांकि, 2019 की संयुक्त राष्ट्र की समय सीमा समाप्त होने से पहले, अमेरिकी विदेश विभाग के अनुमान के मुताबिक दुनिया भर में कारखानों, निर्माण स्थलों, लकड़ियों की कटाई-परिवहन संबंधी उद्योगों तथा अन्य स्थानों पर लगभग 1,00,000 उत्तर कोरियाई काम कर रहे थे।
असैन्य विशेषज्ञों ने कहा था कि उन श्रमिकों ने उत्तर कोरिया को हर साल अनुमानित तौर पर 20 करोड़ डॉलर से 50 करोड़ डॉलर तक रकम भेजी। दक्षिण कोरिया के दूत ने कहा, ‘‘हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि उसके उकसावे की कार्रवाई को कभी भी बख्शा नहीं जाना चाहिए। हम भविष्य में उत्तर कोरिया की उकसावे वाली कार्रवाई का प्रभावी ढंग से मुकाबला करेंगे तथा आय के स्रोत में कटौती करेंगे जिससे इन अवैध गतिविधियों को वित्तपोषण मिलता है।” एपी आशीष पवनेश
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