उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की विधानसभा (Assembly) में मंगलवार यानी आज नेता विरोधी दल अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने कहा कि सरकार ने नौजवानों और किसानों समेत समाज के हर जरूरतमंद वर्ग को निराश किया है। सरकार दावा करती है कि बेरोजगारी दर घटकर 4.2 फीसदी रह गई है। इसका मतलब है कि प्रदेश में 90 फीसदी से अधिक युवाओं के पास रोजगार है जो सरासर गलत है। सरकार बेरोजगारी दर बताने की बजाय यह बताएं कि प्रदेश में रोजगार पाने वालों का प्रतिशत कितना है। वास्तविकता यह है कि पिछली सरकार के कार्यकाल की तुलना में आज रोजगार दर में भी गिरावट हुई है।
युवाओं में इतनी नाउम्मीदी पहले कभी नहीं देखी गई- अखिलेश यादव
उन्होंने ने कहा कि युवाओं में इतनी नाउम्मीदी पहले कभी नहीं देखी गई। सेना भर्ती अभियान अग्निवीर का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि सरहद की रक्षा के लिए भेजे जाने वाले नौजवान को स्थाई रूप से नियुक्त करना चाहिए। ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट का मखौल उड़ाते हुए उन्होंने कहा कि समिट में देश विदेश के उद्योगपति को आमंत्रण दिया गया। इनमें से कई ऐसे थे जो दूसरी इंवेस्टर्स समिट में आए थे मगर फिर भी इंवेस्टर्स कम पड़े गए जिसके चलते फूड कूपन उन लोगों को भी बांटे गए जो कोट टाई पहन कर आए थे। समिट में सर्वाधिक रोजगार मुहैया कराने वाले MSME सेक्टर की उपेक्षा की गई।
‘किसानों को उनकी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नहीं दिया जा रहा है’
MSME सेक्टर को बैंक फाइनेंस करने से कतराते हैं। निवेश के लिए सबसे बेहतर कृषि क्षेत्र की उपेक्षा की जा रही है। किसानों को उनकी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नहीं दिया जा रहा है। आलू किसान मुश्किलों में है। सरकार ने बजट में कृषि उपजों की खरीद के लिए एक हजार करोड़ रूपए का प्रावधान किया है, मगर सरकार बताए कि उसने आलू पट्टी से कितनी खरीद की। आलू की कीमत किसानों को नहीं दे पा रहे हैं।
खुशबू से तो इस सरकार को नफरत है- अखिलेश
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि सरकार ने एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना का खूब प्रचार किया। हर जिले को उसके परंपरागत उद्योग के लिए चिन्हित किया गया मगर काम नहीं हुआ। आगरा का चर्म उद्योग हो या अलीगढ़ का ताला उद्योग, औरैया में देशी घी, बलरामपुर फूड प्रोसेसिंग, भदोही में कालीन उद्योग सब संकट में है। भदोही के कालीन उद्योग के लिए सपा सरकार के कार्यकाल में जो बुनियादी ढांचा तैयार किया गया था,आज भी वहीं है। खुशबू से तो इस सरकार को नफरत है। कन्नौज के जिस कारोबारी के प्रतिष्ठान पर छापा डाला गया वह गलती से भाजपा का ही आदमी निकल आया। यह वास्तव में डिजिटल इंडिया की गलती थी। कंप्यूटर ने एक ही नाम के दो शख्स में गलती कर दी। जहां छापा मारना था वहां नहीं मार पाए और खीझ मिटाने के लिए फिर से छापा मारा। यह छापामार सरकार है। यह काम भाजपा ने कांग्रेस से अच्छा सीखा है। कांग्रेस भी छापा मारती थी।