रामचरितमानस पर विवादित टिप्पणी के बाद से स्वामी प्रसाद मौर्य सुर्खियों में हैं। जिसके बाद मौर्य कई नेताओं, संतों और हिन्दू संगठनों के निशाने पर आ गए हैं। वहीं उसकी पार्टी में भी विरोध के स्वर उठे। सपा विधायक राकेश प्रताप सिंह ने भी मौर्य पर निशाना साधा। जिसके बाद मौर्य ने तीखा पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि वो दूध पीता बच्चा है। मैंने महिलाओं और दलितों पर लिखी गई चौपाइयों को संसोधित करने की बात कही है। जबकि इससे पहले सपा विधायक ने कहा था कि रामचरितमानस पर या फिर प्रभु राम पर कोई टिप्पणी कर रहा है, तब न तो वो सनातनी हो सकता है और न ही सच्चा समाजवादी हो सकता है।
सपा विधायक ने आगे कहा कि सच्चा समाजवादी वो ही हो सकता है जो डॉ राम मनोहर लोहिया ने जो बात कही है उस बात को माने। अगर बिना कुछ जाने और बिना कुछ समझे अगर वो रामचरितमानस पर टिप्पणी कर रहे हैं तो ये अमर्यादित है। अगर हम जनप्रतिनिधि हैं तो हमें इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि हमारी टिप्पणी से कितने लोगों के मन को ठेस पहुंच रही है। कितने लोगों की भावनाएं आहत हो रही हैं। विधायक ने कहा कि विधायक रहूं या ना रहूं चुप नहीं रहूंगा। प्रभु राम पर टिप्पणी करने वाला सनातनी नहीं हैं। मानस पर टिप्पणी करने वाली समाजवादी नहीं हैं। इससे पहले सपा नेत्री रोली तिवारी मिश्रा ने भी स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान का जबरदस्त विरोध किया है।
क्या कहा था स्वामी प्रसाद मौर्य ने?
सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि कई करोड़ लोग रामचरितमानस को नहीं पढ़ते, सब बकवास है। यह तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है। सरकार को इसका संज्ञान लेते हुए रामचरित मानस से जो आपत्तिजनक अंश है, उसे बाहर करना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए। स्वामी प्रसाद मौर्य ने आपत्ति जताते हुए कहा था कि तुलसीदास की रामचरितमानस में कुछ अंश ऐसे हैं, जिनपर हमें आपत्ति है। क्योंकि किसी भी धर्म में किसी को भी गाली देने का कोई अधिकार नहीं है। तुलसीदास की रामायण की चौपाई है। इसमें वह शुद्रों को अधम जाति का होने का सर्टिफिकेट दे रहे हैं।