आयातित खिलौने को बेचने से पहले निर्धारित मानक से पुष्टि करने से संबंधित वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की अधिसूचना के खिलाफ विभिन्न एसोसिएशन द्वारा जनहित याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि जनहित याचिका की आड़ में खिलाैना निर्माता घटिया खिलौनाें का आयात करना चाहते हैं, लेकिन किसी भी तरह से उन्हें निर्धारित मानदंडों का उल्लंघन करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
कोर्ट ने खारिज की याचिका
याचिकाओं को खारिज करते हुए मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा व न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने सवाल उठाया कि आखिर यह जनहित याचिका कैसे हो सकती है, क्योंकि बड़ी संख्या में खिलौनों में जहरीली सामग्री पाई गई थी। ये जनहित याचिका न होकर कुछ खिलौना निर्माताओं की व्यक्तिगत हित याचिकाएं हैं। बच्चों के स्वास्थ्य की रक्षा करना है। आदेश का उद्देश्य अदालत ने कहा कि खिलौने गुणवत्ता नियंत्रण आदेश जारी करने के पीछे सरकार का उद्देश्य बच्चों के स्वास्थ्य और सुरक्षा की रक्षा करना है।
हालांकि, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा 25 फरवरी, 2020 को जारी अधिसूचना के तहत कहा गया है कि आयातक अपने आयतित खिलौनों को निर्धारित मानक की पुष्टि करने के बाद ही बेच सकेंगे।एसोसिएशन की दलील याचिकाकर्ता एसोसिएशन ने दलील दी कि एक जनवरी, 2021 से पहले निर्माताओं से किए आयात को बेचने की अनुमति दी जानी चाहिए और 25 फरवरी, 2020 को जारी हुई अधिसूचना बाधा नहीं बननी चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि एक जनवरी, 2021 से पहले आयात या निर्मित किए गए स्टाक के संबंध में उन्हें मुआवजा देने का भी निर्देश दिया जाए।