सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर अपने बयानों को लेकर हमेशा सुर्खियों में बने रहते हैं। शुक्रवार को अंबेडकरनगर जिले में एक निजी कार्यक्रम में अपने कार्यकर्ता के घर पहुंचे ओपी राजभर से रामचरित मानस पर स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा दिए गए बयान पर निशाना साधा।
बीजेपी में थे तब इनको कोई दिक्कत नही हुई..
राजभर ने कहा कि जब ये (स्वामी प्रसाद मौर्य) सत्ता में थे, चार बार बीएसपी में मंत्री रहे तब इनको राम चरित मानस से कोई दिक्कत नही थी। बीएसपी की सत्ता जाते देख जब बीजेपी में आए तब इनको कोई दिक्कत नही हुई। उसी पर माला और फूल चढ़ाकर पूजा किए। बेटी को सांसद बना लिए तब इनको अपमान नही समझ आया। फिर आगे जुगाड लगाए कि कहीं बैठ जाएंलेकिन जुगाड नहीं बैठा। 10 महीने से उनका कोई नाम लेने वाला नही है। राजभर ने आरोप लगाया कि मौर्य ने चर्चा में बने रहने के लिए उन्होंने एसा बयान दिया जिससे लोग उनको जान जायं।
क्या कहा था स्वामी प्रसाद मौर्य ने?
बता दें कि मौर्य ने रविवार को कहा था, “धर्म का वास्तविक अर्थ मानवता के कल्याण और उसकी मजबूती से है। अगर रामचरितमानस की किन्हीं पंक्तियों के कारण समाज के एक वर्ग का जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर अपमान होता हो, तो यह निश्चित रूप से धर्म नहीं, बल्कि अधर्म है।” उन्होंने आरोप लगाया था, “रामचरितमानस की कुछ पंक्तियों में कुछ जातियों जैसे कि तेली और कुम्हार का नाम लिया गया है। इससे इन जातियों के लाखों लोगों की भावनाएं आहत हो रही हैं।” मौर्य ने मांग की थी, “रामचरितमानस के आपत्तिजनक अंश, जो जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर समुदायों का अपमान करते हैं, उन पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।”
सी वोटर का सर्वे को मैं नहीं मानता
वहीं जब ओपी राजभर से सी वोटर के सर्वे में बीजेपी को 50 प्रतिशत जनता के समर्थन के सवाल पर कहा कि ” सी वोटर का सर्वे बाजार में, कचहरी में और राजनीति के जो माहिर होते हैं उनके बीच होता है। किसी गांव में सी वोटर का सर्वे नहीं हुआ है। मैं इसको नहीं मानता। जो नेता दम भर रहे हैं कि शोषितों और वंचितों को उनका हिस्सा नहीं मिल रहा है। पिछड़ों और दलितों का हिस्सा लूटा जा रहा तो फिर अलग अलग होकर चुनाव क्यों लड़ रहे हैं? जब सबकी मंजिल एक है तो अलग चुनाव क्यों लड़ रहे हैं। अलग-अलग लड़ने का मतलब साफ जाहिर है कि वो सत्ता के लिए लड़ रहे हैं।