दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार को हर जिले में एक ‘वन-स्टॉप’ केंद्र खोलने का निर्देश दिया है जिनका इस्तेमाल केंद्रीय थाने के रूप में किया जा सकता है और वहां महिलाओं और बच्चों के खिलाफ सभी अपराधों को उच्चतम न्यायालय के 2018 के निर्देशों के अनुसार दर्ज किया जा सकता है।
उच्च न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकारें 11 दिसंबर, 2018 को पारित फैसले की तारीख से एक साल के अंदर इस तरह केंद्र बनाने की उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित समय-सीमा का पालन नहीं करके पहले ही अवमानना कर रही हैं।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा, ‘‘ऐसा मालूम होता है कि शीर्ष अदालत द्वारा निपुण सक्सेना मामले में 11 दिसंबर, 2018 को फैसला दिये जाने के बाद भी पैराग्राफ 50.7 और 50.9 में दिये गये निर्देशों का अभी तक पालन नहीं किया गया है।
इसलिए, हम जीएनसीटीडी (दिल्ली सरकार) को भारतीय दंड संहिता की धारा 228-ए (3) के तहत कार्रवाई करने और शीर्ष अदालत के निर्देशानुसार मानदंड निर्धारित करने का निर्देश दे रहे हैं।” पीठ ने कहा, ‘‘राज्य को यह निर्देश भी दिया जाता है कि शीर्ष अदालत के फैसले का अनुपालन करते हुए हर जिले में ‘वन-स्टॉप’ केंद्र खोले जाएं।”