देश के 74 वें गणतंत्र दिवस Republic Day की पूर्व संध्या पर भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला दूसरा उच्च नागरिक सम्मान ( पद्म विभूषण )से मरणोपरांत मुलायम सिंह यादव को सम्मानित किया गया। यह देश के लिये असैनिक क्षेत्रों में बहुमूल्य योगदान के लिये दिया जाता है। यह सम्मान भारत के राष्ट्रपति द्वारा दिया जाता है। इस क्रम उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और देश रक्षा मंत्री रहे मुलायम सिंह यादव समेत देश अन्य को सरकार ने सम्मानित किया है। बता दे कि इस सम्मान की स्थापना 2 जनवरी 1954 में की गयी थी। भारत रत्न के बाद यह दूसरा प्रतिष्ठित सम्मान है। पद्म विभूषण के बाद तीसरा नागरिक सम्मान पद्म भूषण है। यह सम्मान किसी भी क्षेत्र में विशिष्ट और उल्लेखनीय सेवा के लिए प्रदान किया जाता है। इसमें सरकारी कर्मचारियों द्वारा की गई सेवाएं भी शामिल हैं।
हालांकि नागरिक सम्मानों की घोषणा के दौरान मुलायम सिंह यादव का नाम देखकर उत्तर प्रदेश के राजनीतिक हलकों में नरेंद्र मोदी को लेकर अलग- अलग चर्चा हो रही है। अब भविष्य में इसके फायदे और नुकसान की चर्चा भी शुरू हो गई है। उत्तर प्रदेश के राजनीतिक मैदान में भारतीय जनता पार्टी एक अलग ही राजनीति ताना-बाना को स्थापित करने की कोशिश करती दिख रही है। ऐसे में मुलायम सिंह यादव को सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किए जाने को अलग ही नजरिए से देखा जा रहा है। विपक्ष की राजनीति को साधने की कोशिश के रूप में पूरे मामले को देखा जा रहा है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में भाजपा के बाद समाजवादी पार्टी दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है। लेकिन मुलायम सिंह यादव की मौत के बाद अखिलेश पहली बार मैनपुरी का उपचुनाव लड़ा इसमें भारी बहुमत से जीत हासिल की। मुलायम सिंह यादव मुलायम सिंह की पहचान एक धर्मनिरपेक्ष नेता की है। उत्तर प्रदेश में उनकी पार्टी समाजवादी पार्टी को सबसे बड़ी पार्टी माना जाता है। ऐसे में मुलायम सिंह यादव के प्रति उत्तर प्रदेश की जनता ज्यादा ही उदार है। ऐसे में मोदी सरकार ने पद्म विभूषण पुरस्कार 2024 लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में 80 सीटों पर अपनी रणनीति मजबूत कर रही है। फिलहाल अब चुनाव में ही पता चलेगा कि भाजपा को इसका कितना फायदा होता है।