उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि बिहार में पिछले महीने हुई जहरीली शराब त्रासदी की विशेष जांच दल (एसआईटी) से स्वतंत्र जांच कराए जाने की मांग से संबंधित याचिका पर नौ जनवरी को सुनवाई होगी। सारण जिले में हुई त्रासदी में अवैध शराब के सेवन से कम से कम 30 लोगों की जान चली गई थी। याचिका में पीड़ित परिवारों को पर्याप्त मुआवजा देने के लिए राज्य सरकार को निर्देश दिए जाने का भी आग्रह किया गया है।
अगले सोमवार को होगी सुनवाई
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिंह की पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख इसे तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए किया गया। पीठ ने इस मामले का उल्लेख करने वाले अधिवक्ता पवन प्रकाश पाठक से कहा, “इस पर अगले सोमवार को सुनवाई होगी।” बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने अप्रैल 2016 में पूर्ण शराबबंदी लागू की थी और जहरीली शराब पीने से मरने वालों के परिवारों को मुआवजा देने की मांग खारिज कर दी थी। शीर्ष अदालत में दायर याचिका में बिहार स्थित आर्यावर्त महासभा फाउंडेशन द्वारा केंद्र और बिहार राज्य को प्रतिवादी बनाया गया है। इसमें कहा गया है कि जहरीली शराब की बिक्री और खपत को रोकने के लिए बहु-आयामी योजना की जरूरत है।
नकली शराब के सेवन से 40 लोगों की मौत
याचिका में अवैध शराब के उत्पादन और व्यापार पर अंकुश लगाने के लिए एक राष्ट्रीय कार्य योजना तैयार करने का निर्देश दिए जाने का भी अनुरोध किया गया है। इसमें दावा किया गया है कि 14 दिसंबर को हुई घटना में नकली शराब के सेवन से अब तक 40 लोगों की मौत हो चुकी है और कई अन्य अस्पताल में भर्ती हैं तथा इस घटना के बारे में कोई आधिकारिक रिपोर्ट नहीं है। याचिका में कहा गया है कि यह पहली बार नहीं है कि भारत में जहरीली शराब के सेवन से लोगों के मरने की घटना सामने आई है और हाल के वर्षों में गुजरात, पंजाब, उत्तर प्रदेश तथा कर्नाटक सहित विभिन्न राज्यों में इसी तरह के मामले सामने आए हैं।