पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि वह संसद में अपने बहुमत का उपयोग ‘जबरन’ विधेयक पारित कराने में कर रही है। साथ ही तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ने संसदीय लोकतंत्र के भविष्य को लेकर भी चिंता जताई।
अपनी पार्टी के सांसदों के साथ रणनीतिक बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में बनर्जी ने यह भी आरोप लगाया कि कम से कम 16 विधेयक ऐसे हैं जो राज्यों के मामलों में हस्तक्षेप करने वाले हैं और संसद के शीतकालीन सत्र में विचार तथा पारित कराने के लक्ष्य से उन्हें सूचीबद्ध किया गया है। उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘‘आपने देखा है कि अगर विपक्ष आवाज उठाता है तो, बहुमत के कारण सत्तापक्ष बिना किसी मतदान के विधेयक पारित करवा लेता है। वे स्थाई समितियों या प्रवर समितियों की रिपोर्ट को भी स्वीकार नहीं करते हैं। हमें डर है कि क्या हमारा संसदीय लोकतंत्र अपनी प्रतिष्ठता और सम्मान को बनाए रख सकेगा, जोकि आजतक सुरक्षित रही है।”
बनर्जी ने कहा कि लोकतंत्र में विभिन्न राजनीतिक पार्टियां, कई विचारधाराएं होती हैं लेकिन संसदीय बहुमत हमेशा विजयी रहता है। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि आप विपक्ष की आवाज, राज्यों और मीडिया को दबा देंगे।” उन्होंने कहा, ‘‘हमारी पार्टी पूरे दमखम से उनका सामना करेगी और अत्याचारों के खिलाफ लड़ने के लिए अन्य विपक्षी दलों के साथ सहयोग करेगी।”
बनर्जी ने सोमवार को जी20 की तैयारियों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में हिस्सा लिया और मंगलवार को वह अपने भतीजे व पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी के साथ अजमेर शरीफ दरगाह गयीं। संसद का शीतकालीन सत्र बुधवार से शुरू हुआ है और 29 दिसंबर तक चलेगा। सत्र में 23 दिनों में 17 बैठकें होने की संभावना है।