समाजवादी पार्टी (सपा) सदस्यों ने रामपुर विधानसभा उपचुनाव में प्रशासन पर ‘‘मतदाताओं को वोट डालने से रोककर लोकतंत्र को शर्मसार’’ करने का आरोप लगाते हुए मंगलवार को विधानसभा में हंगामा किया। इसकी वजह से सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।
हालांकि राज्य सरकार ने सपा सदस्यों के इन आरोपों से इनकार किया।
पूर्वाह्न 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होते ही सपा सदस्य मनोज पांडेय ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि सोमवार को हुए विधानसभा उपचुनाव में ‘‘लोकतंत्र को शर्मसार’ किया गया और लोकतंत्र की हत्या’’ की गयी, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
इसके बाद पांडेय तथा अन्य सदस्य सदन के बीचों बीच आ गये और आरोप लगाया कि रामपुर में प्रशासन ने सरकार के इशारे पर उपचुनाव में मतदाताओं को वोट नहीं डालने दिया। उन्होंने कहा कि पुलिस ने लोगों को मारा-पीटा ताकि वे वोट डालने के लिये घर से बाहर ना निकलें।
इस दौरान सदन में सपा और विपक्ष के नेता अखिलेश यादव और पार्टी विधायक शिवपाल सिंह यादव मौजूद नहीं थे।
हालांकि संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने रामपुर में पुलिस की कार्रवाई को जायज ठहराते हुए कहा कि जो भी कार्रवाई की गयी है, वह कानून के दायरे में रहकर की गयी है।
सरकार के इस जवाब से नाराज हुए सपा सदस्यों ने मौजूदा सरकार को ‘‘बूथ लूटने वाली सरकार’’ करार दिया।
विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने सदन में हंगामा कर रहे सपा सदस्यों से अपने-अपने स्थान पर लौटने का आग्रह किया, मगर शोर शराबा थमता न देख उन्होंने सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिये स्थगित कर दी। बाद में स्थगन अवधि 15 मिनट के लिये और बढ़ा दी गयी।
गौरतलब है कि सपा विधायक आजम खां को नफरत भरा भाषण देने के मामले में पिछले महीने तीन साल की सजा सुनाये जाने के बाद उनकी सदस्यता निरस्त किये जाने के चलते खाली हुई रामपुर विधानसभा सीट के उपचुनाव के तहत सोमवार को मात्र 33.9 प्रतिशत मतदान हुआ था।
इस दौरान आजम खां की पत्नी एवं पूर्व विधायक तजीन फातिमा तथा बेटे अदीब ने पुलिस तथा प्रशासन पर मतदाताओं को वोट डालने से जबरन रोके जाने का आरोप लगाते हुए कहा था कि पुलिस ने बात नहीं मानने पर मतदाताओं के साथ मारपीट की है।