दिल्ली उच्च न्यायालय ने अब रद्द की जा चुकी आबकारी नीति 2021-22 से जुड़े भ्रष्टाचार के एक मामले में कारोबारी विजय नायर और अभिषेक बोइनपल्ली की जमानत को चुनौती देने वाली सीबीआई की याचिका पर बृहस्पतिवार को उनसे जवाब तलब किया। न्यायमूर्ति योगेश खन्ना की एकल पीठ ने नायर और बोइनपल्ली को नोटिस जारी किया और उन्हें केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की अलग-अलग याचिकाओं पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा। साथ ही इस मामले को आगे की सुनवाई के लिए पांच दिसंबर को सूचीबद्ध किया।
उच्च न्यायालय ने उन्हें निचली अदालत के जमानत आदेश पर रोक लगाने की मांग वाली सीबीआई की अर्जी पर भी जवाब दाखिल करने को कहा। आम आदमी पार्टी (आप) के संचार प्रभारी नायर और कारोबारी बोइनपल्ली हालांकि, अभी भी हिरासत में हैं। उन्हें आबकारी नीति से संबंधित धनशोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार कर लिया था। इस मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति योगेश खन्ना ने कहा, ‘‘वे पहले से ही हिरासत (ईडी मामले में) में हैं। आप उस आदेश पर रोक क्यों चाहते हैं? जल्दी क्या है? उन्हें जवाब दाखिल करने दें फिर हम देखेंगे” और स्थगन आवेदन को स्थगित कर दिया।”
जमानत के आदेश को चुनौती देते हुए सीबीआई के वकील ने दलील दी कि निचली अदालत के न्यायाधीश द्वारा दिया गया हर तर्क ‘दुराग्रही’ है। सीबीआई के वकील निखिल गोयल ने उच्च न्यायालय को यह भी सूचित किया कि पहली गिरफ्तारी की तारीख से 60 दिनों की वैधानिक समय सीमा शुक्रवार को समाप्त हो जाएगी जब एजेंसी इस मामले में अपना आरोप-पत्र दाखिल करेगी। दोनों आरोपियों के वकील ने सीबीआई की याचिकाओं का जोरदार विरोध किया। विजय नायर का प्रतिनिधित्व कर रहीं वरिष्ठ अधिवक्ता रेबेका जॉन ने कहा कि इस देश में पूरा न्यायशास्त्र बदल गया है और अब यह जेल है, जमानत नहीं। दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर, 2021 को आबकारी नीति लागू की थी, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच इस साल सितंबर के अंत में इसे रद्द कर दिया था।