दिल्ली की जामा मस्जिद के मुख्य द्वारों पर लड़कियों के प्रवेश पर रोक वाले नोटिसों का राष्ट्रीय महिला आयोग ने संज्ञान लिया, वहीं महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने इस फैसले को प्रतिगामी तथा अस्वीकार्य बताया। जामा मस्जिद प्रशासन के सूत्रों ने बताया कि तीन मुख्य प्रवेश द्वारों के बाहर कुछ दिन पहले नोटिस लगाए गए जिन पर तारीख नहीं है। हालांकि, इन पर ध्यान अभी गया है। राष्ट्रीय महिला आयोग ने मामले का स्वत: संज्ञान लिया है और कार्रवाई के बारे में फैसला कर रहा है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने मस्जिद प्रशासन को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि वह महिलाओं को सदियों पहले ले जा रहा है।
कार्यकर्ता रंजना कुमारी ने कहा कि यह पूरी तरह अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा, ‘‘यह कैसी 10वीं सदी की सोच है। हम लोकतांत्रिक देश हैं, वे ऐसा कैसे कर सकते हैं। वे महिलाओं को कैसे रोक सकते हैं।” एक अन्य महिला अधिकार कार्यकर्ता योगिता भयाना ने कहा, ‘‘यह फरमान 100 साल पहले ले जाता है। यह न केवल प्रतिगामी है, बल्कि दिखाता है कि इन धार्मिक समूहों की लड़कियों को लेकर क्या सोच है। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।” प्रशासन के नोटिस के अनुसार, ‘‘जामा मस्जिद में लड़की या लड़कियों का अकेले दाखिला मना है।”
शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी के अनुसार, मस्जिद परिसर में कुछ घटनाएं सामने आने के बाद यह फैसला लिया गया। उन्होंने कहा, ‘‘जामा मस्जिद इबादत की जगह है और इसके लिए लोगों का स्वागत है। लेकिन लड़कियां अकेले आ रही हैं और अपने दोस्तों का इंतजार कर रही हैं….यह जगह इस काम के लिए नहीं है। इस पर पाबंदी है।” बुखारी ने कहा, ‘‘ऐसी कोई भी जगह, चाहे मस्जिद हो, मंदिर हो या गुरद्वारा हो, ये इबादत की जगह हैं। इस काम के लिए आने पर कोई पाबंदी नहीं है। आज ही 20-25 लड़कियां आईं और उन्हें दाखिले की इजाजत दी गई।”