फर्जी आईपीएस बनकर ठगी करने वाले व्यक्ति की अग्रिम जमानत याचिका को पंचकूला की कोर्ट ने रद्द कर दिया है। आरोपी विनय अग्रवाल पिछले कई साल से पंचकूला के सेक्टर 9 में रह रहा था और खुद को न केवल हिमाचल का आईपीएस बताता था बल्कि कई उच्चाधिकारियों की मदद और मिलीभगत से गनमैन व सुरक्षा भी मुहैया करवाए हुए था। आरोपी अपने आगे पीछे एस्कॉर्ट लेकर चलता था। इस नकली आईपीएस पर एक व्यक्ति के साथ 7 करोड़ रुपए की ठगी करने और उसके झूठे हस्ताक्षर करने का आरोप है। 2020 में प्रदेश के गृहमंत्री के आदेश के बाद आरोपी के खिलाफ पंचकूला में मामला दर्ज हुआ था। इसके बाद हिमाचल के सीआईडी विभाग ने भी एफआईआर दर्ज करते हुए साथ आरोपी के साथ चलने वाली एस्कॉर्ट और पायलट पर भी कानूनी शिकंजा कसा था।
फैक्ट्री का लाइसेंस रद्द करने का डर दिखा कर ठगे थे रूपए
दरअसल पंचकूला निवासी जगबीर की हिमाचल के कालाआंब में दवाइयां बनाने की फैक्ट्री है। कथित तौर पर विनय अग्रवाल ने ड्रग कंट्रोल विभाग से मिलकर फैक्ट्री लाइसेंस कैंसिल करवाने की गेम खेलते हुए जगबीर सिंह पर प्रेशर बनाया और इसकी एवज में 7 करोड़ रुपए ठग लिए। बता दें कि आरोपी ने साजिशन एक फार्मास्यूटिकल कंपनी भी खोली थी। ड्रग लाइसेंस लेने के लिए जगबीर के जाली हस्ताक्षर से बैंक में फर्जी अकाउंट भी खुलवाए। नकली आईपीएस बनकर कई सालों से पंचकूला में घूम रहे विनय अग्रवाल बेहद रौबदार मिजाज बनाकर घूमते थे और उनके पीछे एस्कॉर्ट को देखकर इन के दबाव में जगबीर सिंह आसानी से आ गए और ठगी के शिकार हो गए जब जगबीर सिंह को अपने साथ हुई ठगी की आशंका हुई तो सीधे प्रदेश के गृह मंत्री अनिल विज के दरबार में फरियाद लेकर पहुंच गए मामले की संजीदगी को समझते हुए तुरंत प्रभाव से गृहमंत्री ने पंचकूला के डीसीपी सुरेंद्र पाल को इसमें कड़ा संज्ञान लेने के आदेश जारी किए डीसीपी सुरेंद्र पाल की जानकारी में मामला आते ही पुलिस पूरी तरह से एक्टिवेट हो गई और इस झूठे फ्रॉड नकली आईपीएस के खिलाफ तमाम धाराओं में मुकदमा दर्ज कर दिया गया जिस की अग्रिम जमानत पंचकूला की माननीय अदालत ने रद्द की है।