इंदौर संभाग में नर्मदा सहित 12 नदियों में सबसे दूषित कान्ह है। ट्रीटमेंट के बाद भी कान्ह का पानी पीने में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता, जबकि स्वच्छता सर्वेक्षण के तहत पिछले साल ही शहर को वाटर प्लस का तमगा मिला है और नाला टैपिंग व एसटीपी लगाने पर 650 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। बावजूद इसके सीवरेज और कुछ स्थानों पर इंडस्ट्रियल व केमिकल वेस्ट मिलने से कान्ह के पानी की ग्रेड खराब मिली है।
मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ताजा जांच रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार, ओंकारेश्वर, मंडलेश्वर, मोरटक्का, हनुवंतिया और खलघाट सहित संभाग के 11 स्थानों पर नर्मदा का पानी शुद्धता के पैमाने पर खरा पाया गया है। गंभीर, कुंदा व चंबल का पानी शुद्धता के मापदंड में बी ग्रेड पाया गया है। झाबुआ की अनास, बदनावर की माही, सेंधवा की गोरी, मनावर की मन, बुरहानपुर की ताप्ति व चोरल का पानी भी ए ग्रेड है।
11जगह से लिए नर्मदा के सैंपल, पानी ए ग्रेड का मिला।
12 नदियों के पानी की जांच की गई। सभी नदियां संभाग की।
416 एमएलडी पानी साफ कर रहे हैं कान्ह का रोज।
नर्मदा के पानी की इन स्थानों पर की गई जांच
प्रदूषण बोर्ड के प्रयोगशाला प्रभारी एसएन पाटिल के मुताबिक हनुवंतिया, पुनासा, ओंकारेश्वर, मोरटक्का, मंडलेश्वर, महेश्वर, खलघाट, धरमपुरी, बड़वानी, कोटेश्वर और काकरना में नर्मदा नदी का सैंपल जांच में ए ग्रेड का पाया गया।
अरबों खर्च फिर भी नदी दूषित
कान्ह और सरस्वती शुद्धिकरण के लिए सिर्फ नाला टैपिंग व सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) पर 650 करोड़ खर्च किए जा चुके हैं। निगम ने 416 एमएलडी पानी की क्षमता वाले 10 एसटीपी व 1 सीईटीपी (कॉमन इफ्यूलेंट ट्रीटमेंट प्लांट) लगाया है। कबीटखेड़ी (3 प्लांट), बिजलपुर, प्रतीक सेतु, नहर भंडारा, राधा स्वामी, आजाद नगर, पीपल्याहाना व सीपी शेखर नगर में एसटीपी हैं।
कान्ह का पानी सबसे निम्न ई ग्रेड का
ताजा जांच में नर्मदा के 11 पॉइंट सहित कुल 12 नदियों की जांच की गई है। नर्मदा का पानी सभी स्थान पर ए ग्रेड है। इंदौर की कान्ह का पानी ई ग्रेड है। ए,बी और सी ग्रेड के पानी को ट्रीट कर पीने में इस्तेमाल किया जा सकता है।
– एसएन द्विवेदी, क्षेत्रीय अधिकारी
ये है पानी की ग्रेड का पैमाना
ए ग्रेड : 100 एमएल पानी में कोलीफॉर्म की मात्रा 50 या कम, घुलित ऑक्सीजन 6 एमजी से अधिक, बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) 2 एमजी या कम होना चाहिए।
बी ग्रेड : कोलीफॉर्म की मात्रा 500 या कम। पीएच 6.5 से 8.5 तथा बीओडी 3 एमजी या कम।
सी ग्रेड : कोलीफॉर्म की मात्रा 100 एमएल में 5000 या इससे कम। पीएच 6 से 9 तक तथा बीओडी 3 एमजी या उससे कम होना चाहिए।
डी ग्रेड : पीएच 6.5 से 8.5 तक। घुलित ऑक्सीजन 4 एमजी या उससे अधिक। अमोनिया की मात्रा 1.2 एमजी प्रति लीटर या उससे कम।
ग्रेड ई : पीएच 6 से 8.5, सोडियम अवशोषण अनुपात 26। बोरोन 2 एमजी प्रति लीटर।