समाजवादी पार्टी के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद से ही यूपी की राजनीति में सबसे ज्यादा चर्चा थी कि आखिर उनकी मैनपुरी सीट से कौन चुनाव लड़ेगा। अब इसका जवाब मिल गया है। समाजवादी पार्टी ने मैनपुरी से डिंपल यादव को मैनपुरी उप-चुनाव में अपना कैंडिडेट बनाया है। पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपनी पत्नी और पूर्व सांसद डिंपल को मैनपुरी से उतारकर साफ संकेत दे दिया है कि वे भारतीय जनता पार्टी (BJP) के फेर में और नहीं फंसने वाले हैं और अपने हिसाब से ही फैसले लेंगे, भले ही बीजेपी कितने ही आरोप क्यों न लगा ले। साथ ही, अखिलेश लखनऊ से लेकर दिल्ली तक का पार्टी का हिसाब-किताब भी अपने पास ही रखेंगे।
परिवारवाद का आरोप लगाती रही है बीजेपी
पिछले कुछ सालों में बीजेपी ने न सिर्फ केंद्र, बल्कि राज्य की पॉलिटिक्स में भी एक तरफा राज किया है। एक के बाद एक कई राज्यों पर कब्जा जमाया है। इनमें जो बात सबसे आम रही है, वह बीजेपी द्वारा लगाए जाने वाले ऐसे आरोप हैं, जिसका तोड़ अब तक विपक्षी दलों को नहीं मिल सका है। दरअसल, बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व से लेकर अंतिम पंक्ति के नेताओं तक ने विपक्ष पर जमकर परिवारवाद का आरोप लगाया है। कांग्रेस में जहां सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर हमला बोला जाता रहा, तो वहीं, यूपी में मुलायम, अखिलेश और उनके पूरे परिवार को निशाने पर लिया जाता रहा। यही वजह थी कि अखिलेश ने साल 2017 में एक कार्यक्रम में दावा किया कि उनकी पत्नी डिंपल यादव को चुनावी मैदान में नहीं उतारा जाएगा। उन्होंने रायपुर में कहा था, ”यदि परिवारवाद का आरोप लग रहा है तो फिर डिंपल चुनाव नहीं लड़ेंगी।” उस समय डिंपल कन्नौज से सांसद थीं। हालांकि, दो साल बाद हुए लोकसभा चुनाव में फिर से कन्नौज से टिकट दिया गया, लेकिन डिंपल चुनाव हार गईं।
मैनपुरी से डिंपल को उतार अखिलेश ने क्या दिया मैसेज?
यादव परिवार का गढ़ रहे मैनपुरी में डिंपल यादव को आगामी उप-चुनाव के लिए टिकट देना अखिलेश यादव की रणनीति मानी जा रही है। अखिलेश ने यह साफ कर दिया है कि वह बीजेपी के परिवारवाद के आरोपों में अब और नहीं उलझने जा रहे हैं। बल्कि जो उनके लिए और उनकी पार्टी के भविष्य के लिए बेहतर होगा वही करेंगे। लखनऊ से लेकर दिल्ली तक पार्टी को मजबूत बनाने की दिशा में काम करेंगे। दरअसल, लोकसभा में सपा के सांसदों की संख्या पिछले कुछ समय में काफी कम हो गई है। पहले यूपी चुनाव के लिए खुद अखिलेश ने आजमगढ़ से इस्तीफा दिया तो आजम खान ने रामपुर से इस्तीफा दे दिया और विधानसभा चुनाव लड़े। मुलायम के जाने के बाद से दिल्ली में पार्टी की उपस्थिति और धमक और कम हो गई। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि पत्नी डिंपल को मैनपुरी से टिकट देकर अखिलेश ने कई संकटों को दूर कर दिया है। मैनपुरी से शिवपाल से लेकर तेज प्रताप तक के कई नामों पर चर्चाएं थीं, जिसकी वजह से पार्टी में गुटबाजी का भी अंदेशा लग रहा था। लेकिन अब पत्नी डिंपल को टिकट देकर इन सभी आशंकाओं को खत्म कर दिया है। माना जा रहा है कि शिवपाल भी अपनी बहू के सामने न तो खुद चुनाव लड़ेंगे और न ही अपनी पार्टी से किसी और को मैदान में उतारेंगे। वहीं, डिंपल का परिवार की बहू होने की वजह से अखिलेश का पूरा परिवार भी एक साथ भी खड़ा दिखाई देगा। इससे बीजेपी को भी यह मैसेज मिल सकेगा कि मुलायम के चले जाने के बाद भी समाजवादी पार्टी में कोई दरार नहीं पड़ी है।
लखनऊ से दिल्ली तक करेंगे पार्टी को मजबूत!
मुलायम सिंह यादव के जीवित रहने तक अखिलेश के सामने दिल्ली में पार्टी को मजबूत करने का तनाव बहुत कम रहा। इस साल के यूपी चुनाव में जब अखिलेश पर एसी कमरे में बैठकर राजनीति करने का आरोप लगा तो उन्होंने बतौर सांसद पद छोड़ते हुए खुद को विधानसभा चुनाव के मैदान में उतार दिया। अखिलेश ने पूरा ध्यान लखनऊ में रहते हुए प्रदेश में पार्टी को मजबूत करने में लगाया। मुलायम मैनपुरी से सांसद होते हुए दिल्ली में पार्टी को मजबूती प्रदान करते रहे। लेकिन जब पिता का निधन हो गया, तो अखिलेश के सामने दोहरी चुनौती आ गई। अखिलेश को न सिर्फ लखनऊ में रहकर प्रदेश की पॉलिटिक्स में सपा को फिर से कमबैक करवाने का प्लान तैयार करना था, बल्कि मैनपुरी से ऐसा उम्मीदवार देना था जिससे दिल्ली की कमान भी उनके पास ही रहे। ऐसे में पत्नी डिंपल के दिल्ली पहुंचने से लखनऊ से लेकर दिल्ली तक की पार्टी की कमान अखिलेश के हाथों में ही रहेगी और वे जैसे चाहेंगे, उस तरह से पार्टी को मजबूत बनाने की दिशा में काम कर सकेंगे।