राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने आरोप लगाया है कि सरदार पटेल स्टेडियम का नाम बदल दिया गया। सीएम गहलोत ने कहा कि मोदी देश के प्रधानमंत्री है। उनके नाम से अलग स्टेडियम बन सकता था। हमें कोई आपत्ति नहीं है। आप सरदार पटेल का स्टेडियम रखते। जरूरी थोड़ी है गुजरात में बने, प्रधानमंत्री के नाम का स्टेडियम गुजरात के अलावा भी, नरेंद्र मोदी के नाम का स्टेडियम कही भी बन सकता था। कोई एतराज नहीं होता। एक बार स्टेडियम का नामकरण होने के बाद भी नाम बदल दिया। आप कैसे बदल सकते हो। हमने गुजरात में अभियान चला रखा है ये नामकरण बदला गया, इसे ठीक किया जाए, यह कहने के लिए सरदार पटेल के गांव के लोग मेरे पास आए। एक डेलीगेशन आया।
बीजेपी वाले गलत परंपरा डाल रहे हैं
सीएम गहलोत ने आज गुजरात में कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र जारी करने से पहले मीडिया से बात की। सीएम गहलोत ने कहा कि घोषणा पत्र में राहुल गांधी के 8 वचन के अलावा कुछ और बिंदुओं को शामिल किया जाएगा। स्टेडियम का नाम बदलने पर सीएम गहलोत ने कहा कि इस प्रकार की परंपरा बीजेपी वाले गुजरात में डाल रहे हैं। मैं उसको किसी रूप में उचित नहीं मानता हूं। सीएम गहलोत ने कहा कि बाड़मेर में रिफायनरी का शिलान्यास कर दिया है। यूपीए चेयर्पसन सोनिया गांधी ने कर दिया था। लेकिन पांच साल बाद सरकार बदल गई। पीएम मोदी से दोबारा शिलान्यास कराया गया है। ऐसा होता है क्या। एक बार मंत्र पढ़ लिए गए। दोबारा मंत्री कैसे पढ़े जाएंगे। पीएमओ के अधिकारियों ने पीएम को गुमराह किया होगा। बता दें गुजरात के मोटेरा क्रिकेट स्टेडियम का नाम बदलकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर किए जाने की वजह से पैदा हुआ था। हालांकि, सरकार ने कहा है कि सिर्फ मोटेरा स्टेडियम का नाम ही बदला गया है, जबकि पूरे स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स का नाम अभी भी सरदार पटेल के नाम पर ही है।
चुनावी घोषणा पत्र को सरकारी दस्तावेज बनाएंगे
सीएम गहलोत ने कहा कि चुनावी घोषणा पत्र में किए वादे पूरे किए जाएंगे। राजस्थान में पहली कैबिनेट की मीटिंग में जन घोषणा पत्र के बिंदुओ को सरकारी दस्तावेज बना दिया गया। गुजरात में भी ऐसा ही करेंगे। जनघोषणा पत्र के बिंदुओं के क्रियान्वयन के लिए न्यायिक आयोग का गठन किया जाएगा। जनघोषणा पत्र की निगरानी की जाएगी। सरकारी दस्तावेज बनाया जाएगा। गुजरात कांग्रेस ने 6 लाख लोगों से राय लेकर ही घोषणा पत्र तैयार किया है। सीएम ने कहा कि हिमाचल में बदलाव की आंधी है। गुजरात में सीएम समेत पूरी कैबिनेट को ही बदल दिया गया। ऐसी क्या मजबूरी रही होगी। 27 साल के कुशासन से लोग तंग आ गए है।