प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव सैफई में मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव के बेहद करीब आते दिखाई दे रहे थे। अखिलेश का भी चाचा के प्रति झुकाव नजर आया था। अभी तक परिवार में शोक के चलते शिवपाल ने कोई राजनीतिक बयानबाजी तो इसे लेकर नहीं की थी लेकिन उन्हें अखिलेश से काफी उम्मीदें हैं। शिवपाल यादव को सपा में कोई जिम्मेदारी मिलने का इंतजार है। यह बात खुद शिवपाल ने अब कही है।
संभल के एचोंडा कमबोह में आयोजित कल्कि महोत्सव में शामिल होने पहुंचे शिवपाल ने संवाददाताओं से बातचीत में इस सवाल पर कि उन्हें क्या बड़ी जिम्मेदारी मिलेगी, शिवपाल ने कहा, “हमें जिम्मेदारी मिलने का इंतजार है। इंतजार है, देखिए।”
उन्होंने कहा कि अभी नेता जी (मुलायम सिंह यादव) के जाने के बाद हम लोग शोक में हैं। इस महीने नेता जी का जन्मदिन (22 नवंबर) भी आने वाला है, जो हम हर साल मनाते थे।” मुलायम के निधन के बाद शिवपाल अपने भतीजे अखिलेश यादव के काफी करीब नजर आए थे। इसके बाद माना जा रहा था कि दोनों गोला गोकर्णनाथ विधानसभा उपचुनाव के स्टार प्रचारकों में शामिल होंगे, मगर ऐसा नहीं हुआ।
शिवपाल ने उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य के समाजवादी पार्टी को ‘समाप्त पार्टी’ करार देने से जुड़े सवाल पर कहा, “हमारी पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी है। हम समाजवादी पार्टी से अभी तक अलग ही हैं। हम अपनी पार्टी को मजबूत करने की कोशिशों में जुटे हुए हैं। हम नेता जी के आदर्शों पर चलकर अपनी पार्टी को मजबूत करेंगे।”
शिवपाल ने गुजरात के मोरबी में एक पुल गिरने की घटना पर कहा कि सरकार को इस मामले में बड़े अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए और संबंधित विभाग के मंत्री को बर्खास्त कर देना चाहिए। नफरत भरे बयान देने के मामले में हाल ही में तीन साल कैद की सजा पाने वाले वरिष्ठ सपा नेता आजम खां से जुड़े एक सवाल पर शिवपाल ने कहा, “आजम खां बड़े नेता हैं।”
शिवपाल और अखिलेश के बीच सितंबर 2016 में सरकार और संगठन पर वर्चस्व की जंग शुरू हो गई थी। इसके बाद पार्टी दो खेमों में बंट गई थी। हालांकि, एक जनवरी 2017 को सपा के आपात अधिवेशन में अखिलेश को मुलायम के स्थान पर पार्टी का नया अध्यक्ष चुना गया था। अखिलेश की स्थिति मजबूत होने के बाद शिवपाल पार्टी में हाशिये पर पहुंच गए थे।
वर्ष 2018 में उन्होंने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया के नाम से एक अलग पार्टी बनाई थी और 2019 में फिरोजाबाद लोकसभा सीट पर सपा प्रत्याशी अक्षय यादव के खिलाफ चुनाव भी लड़ा था। हालांकि, वह जीत नहीं सके थे, मगर अक्षय यादव को भी हार का सामना करना पड़ा था।
इस साल की शुरुआत में हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में शिवपाल और अखिलेश करीब आए थे। शिवपाल ने अपनी पार्टी के बजाय सपा के टिकट पर जसवंतनगर सीट से चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्हें जीत नसीब हुई थी।
हालांकि, चुनाव में सपा को उम्मीद के मुताबिक कामयाबी नहीं मिली। हार की समीक्षा के लिए बुलाई गई सपा विधायकों की बैठक में आमंत्रित नहीं किए जाने पर शिवपाल सपा नेतृत्व से एक बार फिर नाराज हो गए थे। कुछ समय बाद अखिलेश और उनकी राहें फिर जुदा हो गई थीं। शिवपाल ने राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार जसवंत सिन्हा के बजाय भाजपा प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू का समर्थन किया था।
राजनीतिक हलकों में ऐसी चर्चाएं भी हैं कि अखिलेश को झटका देने के लिए शिवपाल सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद रिक्त हुई मैनपुरी लोकसभा सीट का उपचुनाव भाजपा की मदद से लड़ सकते हैं। हालांकि, इसकी पुष्टि नहीं हुई है।