उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में एक जालसाज ने ढाई लाख रुपये डी फार्मा का फर्जी सर्टिफिकेट बेच दिया। जब ये मामला पुलिस तक पहुंचा तो सोमवार को शाहपुर पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। आरोपी की पहचना बस्ती निवासी आशीष पुरी के तौर पर हुई है। वह शहर के पादरी बाजार के शताब्दीपुरम में किराए पर रहता था। आरोपी गांधी गली और बशारतपुर में फोकस हैविट कंसलटेंसी नाम से फर्म चलाता था।
एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर और एसपी सिटी कृष्ण कुमार विश्नोई ने आरोपी ने संदीप को 2018-19 सत्र का फर्जी डिग्री और मार्कशीट को असली बताकर थमा दिया था। शक होने पर जब संदीप मध्य प्रदेश के विवेकानंद यूनिवर्सिटी गया तो पता चला कि मार्कशीट फर्जी है। दरअसल पहली बार दोनों के बीच बातचीत 2020 में हुई थी। संदीप 2020 में डी फार्मा में रेगुलर एडमिशन लेना चाहता था। इसलिए उसने कंसलटेंसी फर्म चलाने वाले आशीष से मुलाकात की। आशीष ने बताया कि वह उसका एडमिशन डीफार्मा में करवा दे।
एडमिशन के नाम पर वसूले ढाई लाख रुपये
एडमिशन के लिए आशीष ने संदीप से कई दफा में ढाई लाख रुपये लिए और कहा कि एडमिशन हो गया है और उसे पढ़ने जाने की जरूरत नहीं है केवल परीक्षा के समय ही यूनिवर्सिटी जाना होगा। इस बीच कोविड से जब स्कूल-कॉलेज बंद हो गए तो आशीन ने बताया कि अब परीक्षा भी नहीं देनी होगी। सीधे मार्कशीट और सर्टिफिकेट मिल जाएगा। नवंबर 2020 में आशीष ने संदीप को 2018-2019 का मार्कशीट थमा दिया।
जब संदीप मार्कशीट लेकर यूनिवर्सिटी पहुंचा तो उसे अपने साथ हुए धोखाधड़ी का पता चला। इसके बाद जब संदीप ने आशीष से अपने पैसे मांगे तो आशीष और उसके भाई ने जान से मारने की धमकी देने लगे। इसके बाद संदीप ने अप्रैल 2022 में शाहपुर थाने में प्राथमिकी दर्ज करवाई। पुलिस ने बताया कि संदीप ने दो अन्य लोगों से भी पैसे लेकर फर्जी मार्कशीट और प्रमाण पत्र दिया है।