भारतीय करेंसी पर महात्मा गांधी के साथ गणेश-लक्ष्मी की भी फोटो लगाने की मांग कर दिल्ली के मुख्यमंत्री ने गुजरात और देश की सियासत में जो तीर छोड़ा है क्या वो निशाने पर लगा है? हिंदुत्व के एजेंडे पर अब तक सबसे आगे रही भाजपा के राज वाले गुजरात में केजरीवाल की इस सधी राजनीति का आम आदमी पार्टी को जमीन पर कितना फायदा मिला इसका उत्तर तो चुनावी नतीजों से ही मिलेगा लेकिन फिलहाल का सच ये है कि इस एक बयान से केजरीवाल को लेकर गुजरात से दिल्ली और दिल्ली से यूपी तक सियासत तेज हो गई है।
केजरीवाल अचानक से चर्चाओं के केंद्र में आ गए हैं। कोई उनका समर्थन तो कोई विरोध कर रहा है लेकिन नजरअंदाज कोई नहीं कर पा रहा है। गुरुवार को इस लड़ाई में बसपा नेता और पार्टी सुप्रीमो मायावती के भतीजे आकाश आनंद और समाजवादी पार्टी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य भी कूद पड़े। आकाश ने जहां करेंसी नोटों पर बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर की फोटो लगाने की मांग की। वहीं स्वामी प्रसाद मौर्य ने केजरीवाल के बीजेपी की बी टीम करार दिया।
गुजरात और दिल्ली से लेकर देश के अन्य राज्यों के बीजेपी नेता केजरीवाल के इस बयान के सामने आने के तुरंत बाद से हमलावर हैं। गुरुवार को यूपी से विपक्ष की दो बड़ी हस्तियों स्वामी प्रसाद और आकाश आनंद के बयान आए। स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक ट्वीट में लिखा- ‘करेंसी नोटों पर लक्ष्मी-गणेश का फोटो लगाने की मांग से स्पष्ट हो गया है कि ‘दिल्ली के मा. मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल जी’ भारतीय जनता पार्टी एवं आर.एस.एस. की बी टीम है।’ अब स्वामी प्रसाद मौर्य के इस बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं। गुजरात में समाजवादी पार्टी ने इस बार पूरी ताकत से विधानसभा चुनाव लड़ने का मन बनाया है। पिछले दिनों पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी इसके संकेत दिए थे। उन्होंने कहा था कि पांच महानगरों के अतिरिक्त पूरा गुजरात बंजर और उजाड़ है। पांच प्रतिशत चकाचौंध के अतिरिक्त बाकी 95 प्रतिशत गुजरात अंधकार में डूबा हुआ है। लोग भाजपा से मुक्ति चाहते हैं। समाजवादी पार्टी अब गुजरात मॉडल के छलावा का पर्दाफाश करेगी।
स्वामी प्रसाद मौर्य के इस बयान से साफ हो गया है कि गुजरात के मैदान में सपा बीजेपी के साथ-साथ आम आदमी पार्टी को भी अपने निशाने पर लेकर चल रही है। यूपी के पिछले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने भी यही किया था। शुरुआत में अटकलें लग रही थीं कि यूपी में आप का सपा से गठबंधन हो सकता है लेकिन बाद में आप ने अलग चलने का फैसला किया और सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े किए। आप का खाता तो नहीं खुला लेकिन कुछ सीटों पर उसने अच्छे-खासे वोट हासिल किए। जिन क्षेत्रों में केजरीवाल ने सभाएं कीं वहां आप का प्रदर्शन अपेक्षाकृत अच्छा रहा।
चुनाव में हार के बाद भी आप यूपी में पूरी तरह सक्रिय है। समाजवादी पार्टी को लगता है कि 2024 के लोकसभा चुनाव और उसके बाद के चुनावों में आम आदमी पार्टी उसके वोट बैंकों में हिस्सेदारी के लिए जोर आजमा कर उसे नुकसान पहुंचा सकती है इसलिए अभी तक विपक्षी एकता के नाम पर विपक्षी दलों पर हमले से बचती रही पार्टी अब केजरीवाल को खुलकर निशाने पर लेने लगी है। स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान को भी इसी कड़ी में देखा जा रहा है। आने वाले दिनों में ऐसे हमले और तेज हो सकते हैं। बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य ने पिछला लोकसभा चुनाव बदायूं से बतौर बीजेपी उम्मीदवार जीता था। हालांकि पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान वह पिता के क्षेत्र में पुत्री धर्म का पालन करती नज़र आई थीं। 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर उनकी क्या रणनीति होगी यह अभी तक स्पष्ट नहीं है।
उधर, बसपा सुप्रीमो मायावती के भतीजे और बीएसपी के नेता आकाश आनंद के हमलावर होने की भी वजहें हैं। यूपी के पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा को सिर्फ एक सीट हासिल हो पाई थी। मायावती, लगातार हार के कारणों की समीक्षा और सियासत की बड़ी ताकत के तौर पर अपनी वापसी के प्रोजेक्ट पर काम रही हैं। इस कोशिश में मुस्लिम वोटों को साधने के लिए वह जहां वेस्ट यूपी से इमरान मसूद जैसे बड़े नेताओं को समाजवादी पार्टी से तोडकर पार्टी में ज्वाइंनिग करा रही हैं वहीं सपा और कांग्रेस सहित हर उस राजनीतिक दल और नेता के खिलाफ हमलावर हैं जो यूपी की सियासत में उनके दलित-मुस्लिम वोटों की साझेदारी का दावा कर सकता है। माना जा रहा है कि इसी वजह से आकाश आनंद ने बाबा साहब अम्बेडकर की फोटो करेंसी पर लगाने की मांग उछाल कर एक साथ बसपा के दलित वोटरों और केजरीवाल दोनों को संदेश देने की कोशिश की है। बसपा आगे भी संदेश देने का ऐसा कोई मौका नहीं छोड़ेगी।
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क्या कहा है आकाश आनंद ने
बीएसपी नेता आकाश आनंद अरविंद केजरीवाल का करेंसी पर गणेश-लक्ष्मी का फोटो वाला बयान सामने आने के बाद से ही हमलावर हैं। अपने एक ट्वीट में आकाश आनंद ने लिखा- ‘क्या रंग बदलू पार्टी है ये।
एक तरफ तो बाबासाहेब की तस्वीर लगा कर बहुजन हितैषी होने का ढोंग करते हैं और दूसरी तरफ वोट लेने के लिए नोट बदलने की बात करते हैं। केजरीवाल साहब, अच्छा होता अगर आप नोटों पर बाबा साहेब की तस्वीर की बात करते जिन्होने सामाजिक न्याय की सबसे बड़ी लड़ाई लड़ी है।’ एक अन्य ट्वीट में आकाश आनंद ने लिखा- ‘हिल्टन यंग कमीशन के समक्ष बाबा साहब डॉ भीमरावअंबेडकर द्वारा निर्धारित और प्रस्तुत दिशानिर्देशों के अनुसार एक अप्रैल 1935 को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अस्तित्व में आया था। इसलिए अगर किसी की तस्वीर होनी ही है तो वो बाबासाहब की तस्वीर होनी चहिए भारतीय करेंसी पर।’