कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा 7 नवंबर को महाराष्ट्र में प्रवेश करने वाली है। इसके बाद इस यात्रा में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) सुप्रीमो शरद पवार और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के इसमें शामिल होने की उम्मीद है। महा विकास अघाड़ी (एमवीए) में कांग्रेस के सहयोगियों ने लोकसभा चुनाव और राज्य की राजनीति में अपनी स्थिति को मजबूत करने के इरादे से यह फैसला किया है।
राहुल गांधी की इस यात्रा में शामिल होने से जुड़े एक सवाल पूछने पर शरद पवार ने कहा, “हम मानते हैं कि भारत जोड़ो यात्रा कांग्रेस द्वारा शुरू किया गया एक कार्यक्रम है। यह समाज में सामाजिक समरसता बहाल करने के लिए काम करने की एक पहल है। यह एक अच्छा कदम है। हालांकि हम एक अलग पार्टी से ताल्लुक रखते हैं, लेकिन हममें से कुछ लोग जहां भी संभव हो इसमें शामिल होंगे।”
उद्धव के नेतृत्व वाली शिवसेना के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “शिवसेना के भीतर विभाजन के बाद हमने एक बड़ी लड़ाई लड़ी है। हमारे 55 विधायकों में से 40 एकनाथ शिंदे खेमे में चले गए। लोकसभा में 18 सांसदों में से 12 शिंदे खेमे में शामिल हुए। इसलिए अपनी खोई हुई जमीन को वापस पाना एक चुनौती है।”
आपको बता दें कि कांग्रेस की यह यात्रा 7 नवंबर को नांदेड़ जिले में महाराष्ट्र में प्रवेश करेगी और हिंगोली, वाशिम और बुलढाणा जिलों से होते हुए 382 किलोमीटर की दूरी तय करेगी। इस दौरान राज्य में दो रैलियां भी होंगी।
यात्रा में शामिल होने वालों में बारामती सांसद और शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले और उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य शामिल हैं। कांग्रेस के सहयोगियों ने वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं बालासाहेब थोराट और अशोक चव्हाण से मुलाकात के बाद यात्रा में शामिल होने के अपने फैसले की घोषणा की। कांग्रेस ने शरद पवार से यात्रा में शामिल होने का अनुरोध किया हैं। दोनों कांग्रेसी नेताओं ने उद्धव ठाकरे से भी अपील की है। थोराट ने कहा, “भारत जोड़ो यात्रा का भारत में सामाजिक और सांप्रदायिक सद्भाव बहाल करने का एक बड़ा राष्ट्रीय एजेंडा है।” कांग्रेस नेताओं ने इस बात पुष्टि की है कि शरद पवार और उद्धव ठाकरे राहुल गांधी से मिलेंगे, लेकिन उन्हें इस बात को लेकर यकीन नहीं है कि दोनों यात्रा में चलेंगे या नहीं।
गठबंधन को बढ़ावा
शरद पवार अपनी व्यावहारिक राजनीति के लिए जाने जाते हैं। हाल ही में मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन (एमसीए) के चुनावों के दौरान उन्होंने एक आम सहमति वाले उम्मीदवार का समर्थन किया जो कि उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के करीबी हैं। उन्होंने हमेशा राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर एक विपक्षी समूह बनाने का प्रयास किया है। भाजपा का मुकाबला करने के लिए 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले उन्होंने दिल्ली में आयोजित “संविधान बचाओ, लोकतंत्र बचाओ” रैली के लिए विपक्ष को एक साथ लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जब तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को संसद के माध्यम से आगे बढ़ाया गया तो शरद पवार ने सभी समान विचारधारा वाले दलों को कानूनों का विरोध करने के लिए एक साथ लाने का बीड़ा उठाया।
भाजपा के राजनीतिक पैंतरेबाज़ी ने शिवसेना को विभाजित कर दिया है। पूर्व सहयोगी उद्धव ठाकरे को कमजोर कर दिया और एमवीए को सत्ता से बाहर कर दिया। अब, एनसीपी महाराष्ट्र की राजनीति में बने रहने के लिए गठबंधन को मजबूत करने को एकमात्र विकल्प के तौर पर देख रही है। भारत जोड़ो यात्रा गठबंधन को अपने संबंधों को मजबूत करने का एक अवसर हो सकती है। हालांकि, एनसीपी को इस बीत की उम्मीद नहीं है कि 2024 तक गठबंधन सुचारू रूप से चलेगा।
एनसीपी के एक पूर्व मंत्री ने कहा, ”जब सत्ता के बंटवारे की बात आती है तो अनुभवी नेता कोई न कोई रास्ता निकाल ही लेते हैं। एमवीए सरकार एक वास्तविकता थी। अंतर्निर्मित संघर्षों के बावजूद यह बच गया। बीएमसी (बृहन्मुंबई नगर निगम), राज्य विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिए सीटों के बंटवारे की कवायद कठिन होगी।”
एनसीपी के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी ने खुद को 90 से 100 सीटों का लक्ष्य रखा है। इसका मतलब है कि कांग्रेस और ठाकरे के नेतृत्व वाली सेना के लिए लगभग 180 सीटों को छोड़कर पार्टी 100 से कम सीटों के लिए समझौता नहीं कर सकती है। कांग्रेस के एक नेता ने कहा, ”हम बराबर हिस्सेदारी पर जोर देंगे। लेकिन कुछ जमीनी हकीकत के आधार पर सीट शेयरिंग सभी को स्वीकार्य होगा।”