प्रयागराज में डेंगू के कहर के बीच प्लाज्मा को प्लेटलेट्स बताकर बेचने वाले एक बड़े गैंग का पुलिस ने खुलासा किया है। इस गिरोह से जुड़े विभिन्न लैब और पैथोलॉजी में काम करने वाले 10 लोगों को क्राइम ब्रांच ने शुक्रवार को गिरफ्तार किया। इनके पास से 10 पाउच प्लाज्मा, तीन पाउच तथाकथित प्लेटलेट्स, एक लाख दो हजार रुपये, तीन बाइक और 13 मोबाइल बरामद हुए हैं। यह गिरोह अब तक सैकड़ों तीमारदारों को नकली प्लेटलेट्स बेच चुका है।
डीएम संजय खत्री, एसएसपी शैलेश कुमार पांडेय और सीएमओ डॉ.नानक सरन ने लोगों की जान से खिलवाड़ करने वाले इस गैंग का पुलिस लाइन में शुक्रवार को खुलासा किया। एसएसपी शैलेश पांडेय ने बताया कि राघवेंद्र उर्फ राहुल पटेल, सुनील पांडेय, सरफराज, दिलीप शुक्ला, प्रदीप पटेल, योगेश्वर सिंह, प्रवीण पटेल, विकास कुमार, अभिषेक और दिलीप पटेल को गिरफ्तार किया गया है। यह गिरोह शहर के ब्लड बैंकों से लेकर अस्पतालों के बाहर तक सक्रिय था। आरोपित प्लेटलेट्स के लिए परेशान तीमारदारों की मजबूरी का फायदा उठाकर उन्हें तीन से पांच हजार रुपये में नकली प्लेटलेट्स बेच रहे थे।
गिरोह के सदस्य हुए गिरफ्तार
1. राघवेंद्र उर्फ राहुल निवासी कोरांव- गैंग संचालित कर रहा था। राहुल साकेत अस्पताल में काम कर चुका है। उसे तकनीकी ज्ञान भी था। इसी कारण वह मरीजों के तीमारदारों को आसानी से अपने जाल में फंसा लेता था।
2. सुनील पांडेय निवासी सरायइनायत-सरायइनायत स्थित एक पैथोलाजी में काम करता था। यह राघवेंद्र का साथी है।
3. दिलीप पटेल निवासी करछना-सरस्वती हॉस्पिटल में काम करता था। प्लेटलेट्स बिकवाने में मदद करता था।
4. विकास सिंह निवासी मिर्जापुर- प्लेटलेट्स लेकर तीमारदारों को पहुंचाने जाता था। ब्लड बैंक से प्लेटलेट्स लाने का काम करता था।
5. प्रवीण पटेल निवासी मिर्जापुर- सहयोगी।
6. अभिषेक पटेल निवासी मिर्जापुर-सहयोगी।
7. योगेश्वर निवासी कोरांव- सहयोगी।
8. सरफराज निवासी देवरिया-एसआरएन के पास ग्लोबल लैब का कर्मचारी है। प्लेटलेट्स रखने से लेकर सेटिंग करने का काम करता था।
9. दिलीप शुक्ला निवासी करछना- पैथोलॉजी में काम कर चुका है। इनके साथ मिलकर प्लेटलेट्स सप्लाई करता था। सरफराज का साथी है।
10. प्रदीप पटेल निवासी करछना- सहयोगी।
फ्री का प्लाज्मा लेकर करते थे खेल
सीएमओ ने बताया कि ब्लड बैंक में प्लाजमा फ्री है। दोनों के रंग में मामूली अंतर है। शातिर प्लाज्मा का पैकेट फ्री में लेते थे। उसमें 350 एमएल प्लाज्मा रहता था। उसमें से 50-50 एमएल प्लाज्मा निकालकर नकली पैकेट में सीरिंज से भरकर फैला देते थे। फिर उस पर ब्लड बैंक की नकली पर्ची चस्पा कर देते थे। इस काम में लैब और पैथोलॉजी में काम करने वाले शामिल थे। इस गैंग ने प्लेटलेट्स बेचकर एक लाख से अधिक रुपये कमाए हैं। पकड़े गए आरोपियों से अभी पूछताछ जारी है।
कोरांव का राघवेंद्र तीन महीने से कर रहा था खून का धंधा
डेंगू मरीजों को प्लेटलेट्स की जगह प्लाज्मा बेचने वाला बीएसपी पास राघवेंद्र उर्फ राहुल पटेल गैंग का सरगना है। उसके साथी भी लैब में काम करते हैं। इनमें से कुछ काम छोड़ चुके हैं जबकि कुछ अभी अस्पतालों में काम कर रहे हैं। वह अपने साथियों को ब्लड बैंकों के बाहर तीमारदारों से सेटिंग के लिए भेजता था। जिसे प्लेटलेट्स मिलने से परेशानी थी, या डोनर नहीं था उन्हें ये लोग तीन से पांच हजार रुपये लेकर एक यूनिट प्लेटलेट्स बेच रहे थे।