समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद अब उनकी स्मृतियां ही शेष हैं, जिन्हें हर कोई अपने-अपने तरीके से साझा कर रहा है। मुलायम सिंह यादव के साथ कई दशक तक कंधे से कंधा मिलाकर काम करने वाले शिवपाल यादव भी बड़े भाई का सहारा छिन जाने से भावुक और दुखी हैं। बुधवार को उन्होंने मीडिया से बात की और मुलायम सिंह यादव के साथ गुजारे दिनों को याद किया। शिवपाल यादव ने कहा, ‘नेताजी ने मुझे पढ़ाया भी था। मुझे साइकिल पर बिठाकर स्कूल भी ले जाया करते थे। जब मुझे साइकिल चलानी आ गई थी तो मैं भी नेताजी को बिठा कर ले जाता था।’
आज तक हर फैसला नेताजी के आदेश पर ही लिया था
शिवपाल यादव ने कहा कि हर मोर्चे पर, हर मौके पर हमने अभी तक जो भी फैसले लिए हैं, वह नेताजी के कहने पर ही लिए हैं। हमने कभी भी नेताजी की किसी बात को नहीं टाला है। कोई भी बात हो किसी भी तरह की बात हो, मैंने नहीं टाला है। यही नहीं इस मौके पर उन्होंने मुलायम सिंह यादव की गैर-मौजूदगी में एकता करने और सपा का संरक्षक बनने के सवाल पर भी बात की। उन्होंने कहा कि यह वक्त अभी इन मुद्दों पर बात करने का नहीं है, जब वक्त आएगा तब देखा जाएगा। संरक्षक की भूमिका पर कहा कि जब जो जिम्मेदारी मिलेगी वह किया जाएगा।
‘जिन्हें कोई पूछ नहीं रहा, उन्हें लेकर चलना है’
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के नेता ने कहा कि हमारे साथ जो लोग जुड़े हैं, जितने भी लोग हमारे साथ जुड़े हैं, जिनको सम्मान नहीं मिल रहा है, जिनको कोई पूछ नहीं रहा है। उनको सबको हम इकट्ठा करके उनकी राय से कोई फैसला करेंगे। उत्तर प्रदेश में हमारा दल भी है, इस पर हम आगे फैसला लेंगे। अभी समय नहीं है लेकिन उनसे राय लेकर फैसला लिया जाएगा। शिवपाल यादव ने कहा कि नेताजी हमारे लिए पिता के समान थे। बचपन से लेकर अब तक जितनी भी सेवा कर सकते थे, हमने उनकी सेवा की है। आज हमारे मन का संसार सिकुड़-सिकुड़ा सा लगता है। वो आज हमारे बीच नहीं हैं।
शिवपाल बोले- नेताजी के रास्ते पर ही आगे चलना है
भतीजे अखिलेश यादव से मतभेद के बाद अलग दल बनाने वाले शिवपाल यादव की बड़े भाई मुलायम से हमेशा एक अच्छी बॉन्डिंग रही। उन्होंने कहा कि हमने नेताजी के ही रास्ते पर चलने का प्रयास किया है और आगे भी उनकी ही राह पर बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि नेताजी के पास जो भी आया है, जिसने भी उनके साथ काम किया, उनको कभी नाराज नहीं किया था।