उच्च रक्तचाप और मधुमेह को लेकर जागरुकता का स्तर बढ़ रहा है। यही कारण है कि पिछले छह-सात सालों के दौरान इन बीमारियों से मरीजों की संख्या में गिरावट का रुझान है। 2014-15 की तुलना में 2020-21 में उच्च रक्तचाप और मधुमेह रोगियों का प्रतिशत घटा है।
चिकित्सा विशेषज्ञ इसे सकारात्मक मान रहे हैं। उनका कहना है कि रोगियों की संख्या कम नहीं हो रही है लेकिन लोगों में उपचार को लेकर जागरुकता बढ़ी है जिसके परिणाम स्वरूप लोग अपना मधुमेह और उच्च रक्तचाप नियंत्रित कर रहे हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा उच्च रक्तचाप, मधुमेह तथा गैर संक्रामक रोगों का पता लगाने के लिए स्क्रीनिंग कार्यक्रम चलाया जाता है। इस कार्यक्रम के तहत प्रतिवर्ष लाखों लोगों के स्वास्थ्य की जांच की जाती है।
रिपोर्ट के अनुसार 2014-15 के दौरान कुल 59.24 लाख लोगों के स्वास्थ्य की जांच की गई जिनमें से 12.02 फीसदी लोग उच्च रक्तचाप से पीड़ित पाए गए जबकि 9.45 फीसदी लोग मधुमेह की चपेट में थे। उसके बाद हर साल यह जांच होती है।
2020-21 में कुल 4.66 करोड़ लोगों की स्क्रीनिंग की गई जिनमें से 9.47 फीसदी लोग उच्च रक्तचाप और 8.05 फीसदी लोग मधुमेह से ग्रस्त पाए गए। आंकड़ों से स्पष्ट है कि उच्च रक्तचाप और मधुमेह से ग्रस्त लोगों की संख्या में कमी आई है।
हालांकि यह गिरावट मामूली है। वर्धमान महावीर मेडिकल कालेज के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के निदेशक डा. जुगल किशोर ने कहा कि लोग बीपी और शुगर को लेकर जागरुक हुए हैं तथा इलाज कराते हैं।