गाजियाबाद की क्राइम ब्रांच ने नशा तस्करी करने वाले दो आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से 31 लाख रुपये की हेरोइन बरामद की है। पुलिस के मुताबिक पकड़े गए आरोपी फरार चल रहे नशा तस्कर आतिफ से जुड़े हैं। इनका काम इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज के छात्रों को स्मैक सप्लाई करना था। पुलिस का कहना है कि पकड़े गए आरोपियों ने कॉलेजों में नशा पहुंचाने के लिए गुर्गे छोड़े हुए थे। आरोपियों से जुड़े गुर्गों की तलाश की जा रही है।
क्राइम ब्रांच प्रभारी अब्दुर रहमान सिद्दीकी के मुताबिक मुखबिर ने सूचना दी थी कि इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज के छात्रों को स्मैक सप्लाई करने वाले दो तस्कर पुराना बस अड्डा के पास से गुजरेंगे। सूचना मिलते ही टीम ने घेराबंदी कर दी। इसी दौरान बैग लेकर दो संदिग्ध आते दिखाई दिए। उन्हें रोककर तलाशी ली तो बैग में 210 ग्राम स्मैक बरामद हुई। दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया।
बरामद स्मैक की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में करीब 31 लाख रुपये है। पकड़े आरोपियों की पहचान थाना विकास नगर देहरादून के गांव कुंजा ग्रांट निवासी सलमान तथा थाना भमौरा जिला बरेली के मजनूपुर निवासी शकील बेग के रूप में हुई है। दोनों फरार चल रहे नशा तस्कर बरेली निवासी आतिफ से जुड़े हैं, जो दिल्ली-एनसीआर के अलावा इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाले छात्रों तक स्मैक की सप्लाई करते थे।
बरेली से सप्लाई करते थे स्मैक
आतिफ पकड़े गए आरोपियों को बरेली में हेरोइन मुहैया कराता था। उन्हें दिल्ली, यूपी, राजस्थान, पंजाब, उत्तराखंड और हरियाणा के ठिकानों पर माल पहुंचाना होता था। इसकी एवज में आतिफ उन्हें मोटा कमीशन देता था। यह माल कहां से आता था, इसकी जानकारी आतिफ को है। पुलिस का कहना है कि आरोपियों ने गैंग से जुड़े अन्य लोगों के बारे में जानकारी साझा की है। आतिफ की गिफ्तारी को दबिश दी जा रही है। क्राइम ब्रांच प्रभारी ने बताया कि आतिफ के दो भाइयों, मामा और फूफा समेत छह को पूर्व में गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है।
कोडवर्ड का करते हैं इस्तेमाल
आरोपी नशा तस्करी के लिए कोडवर्ड का इस्तेमाल करते हैं। इनमें फ्रूटी, कैटरीना, घी, लंच, मिठाई, पपड़ी आदि कोडवर्ड शामिल हैं। पुलिस का कहना है कि जब तस्करों को जानकारी लगती है कि पुलिस को उनका कोडवर्ड पता चल गया है तो वह दूसरा कोडवर्ड इस्तेमाल करने लगते हैं। तस्कर एक ही कोडवर्ड का इस्तेमाल करने की बजाय उसे बदलते रहते हैं।
एसएसपी मुनिराज जी. ने कहा, ‘एंटी नारकोटिक्स सेल ने पिछले एक वर्ष में कई तस्करों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से नशे की खेप बरामद की है। कॉलेजों में नशा तस्करी का मकड़जाल तोड़ने की जिम्मेदारी एंटी नारकोटिक्स सेल को दी गई है।’
माल दिखाने के लिए व्हॉट्सऐप का इस्तेमाल
पुलिस ने बताया कि आरोपी व्हॉट्सऐप और फेसबुक मैसेंजर के जरिए वीडियो कॉल करके दिखाते हैं कि हेरोइन किस क्वालिटी की है। सौदेबाजी के लिए वह व्हॉट्सऐप वॉइस कॉल का प्रयोग करते हैं। भरोसेमंद लोगों को आरोपी व्हॉट्सऐप पर हेरोइन का फोटो भी भेजते थे। जैसे ही सामने वाला व्यक्ति सैंपल देखता तो फोटो डिलीट कर देते थे। पुलिस से बचने के लिए आरोपी ऐसा करते थे।
छात्रों को निशाना बना रहे थे