2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर सारे राजनीतिक दल कमर कसना शुरू कर दिए है जहां एक ओर एनडीए मोदी,शाह,नड्डा की तिकड़ी के सहारे पुनर्वापसी का दम भर रही है तो यूपीए के लिए राहुल गांधी पदयात्रा करने निकल पड़े है। तीसरी तरफ तीसरा मोर्चा भी अपनी संभावनाएं तलाश रहा है। जिसकी अघोषित रूप से बिहार के सीएम नीतीश कुमार कर रहे हैं जो पीएम मोदी की तर्ज पर उत्तर प्रदेश की ओर मुंह कर लिए हैं। इसके पीछे प्रदेश की 80 लोकसभा सीट नजर आ रही है। अगर यहां बढ़त मिल गई तो एनडीए के रथ को थामा जा सकता है। इसी क्रम में उनको लेकर फूलपुर की सीट चर्चा में आ गई है।
संभावनाएं बढ़ रही है कि शायद नीतीश फूलपुर सीट से चुनाव लड़े। इसके पीछे यहां का जातिगत समीकरण भी है। इस सीट पर यादव व पटेल लगभग एक समान संख्या में है। दोनों ही लगभग ढाई-ढाई लाख है। अल्पसंख्यक भी इस सीट पर लगभग पौने दो लाख के करीब है। अगर सपा का समर्थन मिला तो वे मजबूत माने जा रहे हैं।
कारण यह कि जब-जब भी यहां सपा ने पटेल प्रत्याशी दिए है अक्सर वह जीत का सेहरा बंधवा लिया है। इसमें जंग बहादुर पटेल,धर्मराज पटेल, नागेन्द्र सिंह पटेल के नाम गिने जा सकते हैं। उसके पहले इसी समीकरण पर राम पूजन पटेल तीन बार व प्रो. बीडी सिंह एक बार सांसद चुने जा चुके हैं लेकिन इनके गणित में एक पेंच बाहरी और स्थानीय का भी है। बहरहाल परिणाम क्या होगा यह तो समय बताएगा पर नीतीश के नाम पर यह सीट पुनः वीआईपी की श्रेणी की ओर बढ़ चली है।
वीआईपी सीट रही है फूलपुर
फूलपुर लोकसभा की सीट वीआईपी सीट मानी जाती रही है। क्योंकि इसी सीट की तीन बार नुमाइन्दगी कर पण्डित जवाहर लाल नेहरू देश के प्रधानमंत्री रहे। बाद में विजय लक्ष्मी पंडित, पूर्व पीएम वीपी सिंह, जनेश्वर मिश्रा,कमला बहुगुणा ने भी इस सीट का मान बढ़ाया। लेकिन इसी सीट से समाजवादी चिंतक डा.राम मनोहर लोहिया,बसपा संस्थापक कांशीराम व अपना दल संस्थापक सोने लाल पटेल को मुंह की भी खानी पड़ी है।
क्या है जातिगत समीकरण
यद्यपि जातिवार जनगणना तो कभी नहीं हुई है फिर भी राजनैतिक पंडितों का मानना है कि इस सीट पर
यादव -ढाई लाख
पटेल -ढाई लाख
ब्राह्मण-एक लाख
कायस्थ-75 हजार
मुस्लिम -1.75 लाख
मौर्या -75 हजार
अनुसूचित -दो लाख
अन्य पिछड़ा वर्ग-75 हजार